लोकसभा पुस्तकालय में संविधान पर आयोजित एक कार्यशाला में 'राज्य के अंगों के बीच शक्ति का विभाजन' विषय पर एक व्याख्यान में जेटली ने कहा कि आप संविधान की व्याख्या के जरिए एक संभावित अर्थ, जो भाषा से अलग है, देकर इसे किसी उद्देश्य की ओर नहीं मोड़ सकते. आप ठीक विपरीत नहीं कह सकते. उन्होंने कहा कि लिहाजा, आजकल हो रही नियुक्तियां मूल रूप से निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंगों की शक्तियां विभाजित हैं और कोई भी अंग दूसरे अंग से उपर नहीं हो सकता और न्यायपालिका न तो कार्यपालिका और न ही विधायिका बन सकती है. बीते कुछ सालों में लक्ष्मण रेखा लांघने की टेंडेंसी बढ़ी है. आखिर अदालतें कैसे वाहनों पर टैक्स लगाने का आदेश दे सकती हैं. संसद ही कर लगा सकती है, वह भी लोकसभा को ही यह अधिकार है क्योंकि मनी बिल पर सीधे निर्वाचित सदन ही निर्णय कर सकता है.
जेटली ने कहा कि इस तरह का प्रभाव ठीक नहीं कि एक इंस्टिट्यूशन दूसरे से सुपीरियर है और उसे टेकओवर कर सकता है. संसद भी संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है. कार्यपालिका के कामकाज को अदालतें अपने हाथ में नहीं ले सकती. एक निर्वाचित संसद भी बुनियादी ढांचे का हिस्सा है, एक निर्वाचित सरकार भी बुनियादी ढांचे का हिस्सा है और एक मंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भी बुनियादी ढांचे का हिस्सा है.