केंद्र सरकार में नंबर 2 और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बीच चल रहा कोल्ड वॉर अब खुलकर सामने आ गया है. ज्यादातर मामलों पर सरकार के बचाव में उतरने वाले अरुण जेटली के ट्वीट ने ये साफ कर दिया कि स्वामी के साथ वो आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. जेटली ने ट्वीट किया कि 'वित्त मंत्रालय के एक अनुशासित अफसर के खिलाफ अनुचित और झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.'
ट्वीट वार में कूदे जेटली
दरअसल जेटली को ये जवाब इसलिए देना पड़ा क्योंकि आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहाकर अरविंद सुब्रमण्यम के बाद स्वामी ने आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास पर हमला बोला.
किसी ने ट्विटर पर लिखा कि शक्तिकांता दास ने देश की बहुत सेवा कर ली. अब उन्हें वापस तमिलनाडु भेज देना चाहिए. इस पर स्वामी ने लिखा कि मेरे ख्याल से उनके खिलाफ एक केस लंबित है. जिसमें उन्होंने पी
चिदंबरम को महाबलिपुरम में अहम जगहों पर जमीन हथियाने में मदद की थी. स्वामी का एक के बाद एक वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों पर मोर्चा खोलना जाहिर है. वित्त मंत्री को नागवार गुजरा और वो भी ट्विटर
वॉर में कूद पड़े.
इस पूरे मामले के बाद बीजेपी और सरकार के भीतर चर्चा शुरू है कि क्यों सुब्रमण्यम स्वामी वित्त मंत्रालय के बहाने सीधे अरुण जेटली के साथ दो-दो हाथ करने के मूड में हैं. आखिर जिस मंत्री को सरकार और पार्टी में नंबर 2 माना जाता है उसके खिलाफ बोलने पर भी स्वामी पर पार्टी चुप क्यों है?
स्वामी के बीजेपी में शामिल होने का जेटली ने किया विरोध
इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब स्वामी को बीजेपी ने पार्टी में शामिल करने का मन बनाया जिसका अरुण जेटली ने खुलकर विरोध किया. सूत्रो की मानें तो स्वामी के पक्ष में आरएसएस का पूरा वोट था क्योंकि
ना सिर्फ स्वामी राम मंदिर मुद्दे पर वकालत करते रहे बल्कि गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलना भी एक वजह रही. कहानी तब दिलचस्प हुई जब सरकार में एक वरिष्ठ मंत्री ने अरुण जेटली के ना चाहते हुए भी
स्वामी का समर्थन करना शुरू किया. यहां तक की स्वामी के सामने जेटली से उन्हें राज्यसभा सांसद बनाए जाने पर राय मांगी गई जिसका जेटली ने विरोध किया.
जेटली ने यह कहकर स्वामी को बीजेपी सीट पर राज्यसभा में भेजने से इनकार किया कि स्वामी के बोल रोजाना सरकार को मुश्किल में डालेंगे. पार्टी और सरकार को उनके बयानों पर सफाई देनी पड़ेगी. राजनीति में दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. यही बीजेपी में भी हुआ. पार्टी और सरकार में जेटली विरोधियों ने स्वामी का खुलकर समर्थन किया और आज नौबत ये है कि वित्त मंत्री होने के नाते जेटली अपने मंत्रालय के अफसरों के बचाव में अकेले उतरे हुए हैं. पार्टी हो या संघ चुप रहकर गेम देख रही है.
सूत्रो के मुताबिक संघ ने स्वामी बनाम जेटली की इस लड़ाई को ठंडा करने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह को स्वामी से बात करने को कहा था जिसके बाद बुधवार को स्वामी ने राजनाथ के घर जाकर उनसे मुलाकात भी की. स्वामी को राजनाथ का करीबी भी माना जाता है लेकिन गुरुवार को सुबह से स्वामी ने फिर इस मसले पर एक के बाद एक ट्वीट करके साफ कर दिया कि वो किसी के समझाने में आने वाले नहीं हैं.
PM मोदी को तोड़नी होगी चुप्पी
फिलहाल अरुण जेटली के जवाब से ये साफ है कि अब दोनों के बीच की ये लड़ाई उस मुकाम पर आ गई है जिसमे पार्टी और प्रधानमंत्री ज्यादा दिन चुप नहीं रह पाएंगे. क्योंकि विपक्ष से पहले खुद अरुण जेटली ये
जवाब जरूर मांगेंगे कि आखिर स्वामी किसकी शह पर ये सब कर रहे हैं.