कांग्रेस के बजट भाषणों के लिए मोदी सरकार पर उठाए गए सवालों के जवाब में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आर्थिक आंकड़े कांग्रेस के विरोध का समर्थन नहीं करते.
जेटली ने राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में देश के बड़े प्रोजेक्ट्स जो किसी भी सरकार ने शुरू किए, उऩको प्राथमिकता देने का काम किया है. देश में स्वच्छ भारत के तहत शौचालयों के निर्माण के लिए खर्च किया गया है कि आज हम गांव में घर-घर तक पहुंचने के बेहद नजदीक हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक इकोनॉमी के लिए बूम के समय में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्था ने अच्छा किया. वहीं मोदी सरकार की भी इस दौरान अपनी उपलब्धियां रही हैं.
इन उपलब्धियों को दिखाते हुए जेटली ने सदन में 6 आंकड़े रखते हुए दिखाया कि किस तरह कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार की की जा रही आलोचना पूरी तरह से बेबुनियाद है.
जीडीपी के आंकड़े
2012-13 में जीडीपी ग्रोथ 5.3 फीसदी थी, 2013-14 में 6.3 फीसदी थी. हम सिर्फ एक तिमाही में जीएसटी के चलते नुकसान उठाते हैं और वह 5.7 फीसदी हो जाती है. एक तिहाई में गिरावट के लिए विपक्ष क्यों हाय तौबा मचा रही है. लिहाजा, विपक्ष को बीजेपी कार्यकाल के बाकी तिमाही में जीडीपी के आंकड़ों को देखने की जरूरत है.
करेंट अकाउंट डेफिसिट
यूपीए सरकार के आखिरी दो साल में करेंट अकाउंट डेफिसिट 4.2 और 4.8 फीसदी था और 2012 के आखिरी तिमाही में 6.7 फीसदी. सरकार बदलने के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में यह डेफिसिट 1 और आधे फीसदी के पार कभी नहीं गया. फिर कैसे कांग्रेस समेत विपक्ष करेंट अकाउंट पर सवाल पूछ रही है.
10 साल के ट्रेजरी बॉन्ड
2004 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के समय बॉन्ड ईल्ड पर 5.17 फीसदी रिटर्न था. अप्रैल 2013 तक यह 9 फीसदी तक पहुंच गया. लेकिन जबसे देश में मोदी सरकार बनी यह कम हुआ और अब बीते दो साल से यह 7.5 और 7.7 फीसदी है. वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल के समय में यह कम होकर 6 फीसदी के दायरे में भी जा चुकी है. लिहाजा, किस आधार पर विपक्ष बॉन्ड ईस्ड पर सरकार पर सवाल खड़ा कर रही है.
फिसककल डेफिसिट
कांग्रेस के कार्यकाल में आखिरी तीन वर्षों के दौरान फिसकल डेफिसिट 4.9, 4.5 और 4.9 फीसदी रहा, जिससे साफ है कि यूपीए सरकार लगातार अपने खर्च के लिए कर्ज ले रही थी. हमारे कार्यकाल में यह 3 फीसदी के दायरे में आया और बीते साल के दौरान महज जीएसटी के कारण यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ा. लिहाजा, इसके लिए विपक्ष कैसे मोदी सरकार के ऊपर इस आंकड़े को लेकर सवाल खड़ा कर रही है?
रेवेन्यू डेफिसिट
यूपीए सरकार के तीन साल के कार्यकाल में रेवेन्यू डेफिसिट क्रमशः 4.9, 3.7 और 3.2 फीसदी था. वहीं मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान यह क्रमशः 2.9, 2.5 और 2.1 फीसदी है. क्या यह आंकड़े अपने आप में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को बयान नहीं करती.
महंगाई
कांग्रेस के कार्यकाल में आखिरी तीन वर्षों के दौरान देश में 9.4, 10.4 और 9.0 फीसदी महंगाई थी. एक बार कांग्रेस के कार्यकाल में डबल डिजिट महंगाई भी देखने को मिली. वहीं मौजूदा सरकार के कार्यकाल में यह महंगाई 2.0 और 2.5 फीसदी तक रही और इस साल यह 3.0 फीसदी तक पहुंची. लिहाजा, क्या विपक्ष के लिए यह आंकड़े नहीं दिखती कि किस तरह से मोदी सरकार के कार्यकाल में यूपीए द्वारा बेलगाम की गई महंगाई को काबू में किया गया.