ऑपरेशन के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक के जरिए अपनी सक्रियता बनाए रखी है और एक के बाद एक पोस्ट कर रहे हैं. अपने नए पोस्ट में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निशाना बनाया और उन पर तीखा हमला किया.
अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वो आतंकवादियों और माओवादियों की विचारधारा के प्रति सहानुभूति रखने लगे हैं. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि कांग्रेस भले ही ऐतिहासिक और सैद्धांतिक तौर पर इन संगठनों का विरोध करती रही हो, लेकिन उसके वर्तमान नेता को जेएनयू और हैदराबाद में विभाजनकारी नारे लगाने वाले के प्रति कोई पछतावा नहीं है.
आतंकियों से निपटना कानूनी मुद्दा
कांग्रेस और मानवाधिकार संगठनों को आड़े हाथ लेते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आत्मसमर्पण करने से इंकार करने वाले आतंकवादियों से निबटना 'बल प्रयोग' की नीति नहीं है बल्कि यह कानून-व्यवस्था का मुद्दा है. इसके लिए राजनीतिक समाधान का इंतजार नहीं किया जा सकता.
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने आशंका प्रकट की है कि इससे कश्मीर समस्या से निबटने में 'बल प्रयोग' नीति की वापसी हो सकती है.
जेटली ने फेसबुक पर लिखा, 'कभी-कभी हम उन मुहावरों में फंस जाते हैं जो हमने ही गढ़े हैं. ऐसा ही एक मुहावरा है 'कश्मीर में बल प्रयोग की नीति'. एक हत्यारे से निपटना भी कानून-व्यवस्था का मुद्दा है. इसके लिए राजनीतिक समाधान का इंतजार नहीं किया जा सकता.'
फिदायीन से बातचीत कितनी कारगर
साथ ही उन्होंने सवाल उठाया, 'कोई भी फिदायीन मरने को तैयार रहता है. वह (लोगों को) मारना भी चाहता है तो क्या उससे सत्याग्रह का प्रस्ताव देकर निपटा जा सकता है? जब वह हत्या करने के लिए आगे बढ़ रहा हो तो क्या सुरक्षा बलों को उससे यह कहना चाहिए कि वह मेज तक आए और उनके साथ बात करे?'
जेटली का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ ही दिन पहले बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया, जिससे वहां महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई और राज्यपाल शासन लग गया. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर में बल प्रयोग से बात नहीं बनेगी और सुलह ही राज्य में समस्याओं के हल का एकमात्र रास्ता है.
उन्होंने कहा कि नीति घाटी के आम नागरिक की रक्षा करने, उन्हें आतंक से आजादी दिलाने तथा बेहतर जीवन एवं माहौल प्रदान की होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'भारत की संप्रभुता और नागरिकों के जीवन जीने के अधिकार की रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए.'
निर्दोष नागरिकों के कत्ल पर कोई आंसू नहीं
हालांकि जेटली ने इस पर अफसोस प्रकट किया कि वाम चरमपंथ विचारधारा के लोगों के वर्चस्व वाले प्रमुख मानवाधिकार संगठनों ने उन निर्दोष नागिरकों को मानवाधिकारों से वंचित किए जाने की चर्चा कभी नहीं की है जो उनकी हिंसा के शिकार हैं. उन्होंने कहा, 'सुरक्षाकर्मियों की निर्मम हत्या पर उनकी आंखों से कभी आंसू नहीं निकले.'
उन्होंने कहा कि भले ही कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक और वैचारिक दृष्टि से ऐसे मानवाधिकार संगठनों के विरुद्ध रही हो, लेकिन राहुल गांधी के हृदय में उनके प्रति सहानुभूति अवश्य है. राहुल गांधी को जेएनयू और हैदराबाद में विघटनकारी नारे लगाने वालों का साथ देने में कोई पछतावा नहीं है.
भूमिगत संगठनों के बाहरी नकाब मानवाधिकार संगठन
जेटली ने कहा, 'आप, तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों के राजनीतिक दुस्साहसियों और उन जैसे लोगों को बस इन संगठनों में राजनीतिक मौके की ताक रहती है. ये मानवाधिकार संगठन भूमिगत संगठनों के बाहरी नकाब हैं. जिस व्यवस्था में वे यकीन करते हैं वहां जीवन, आजादी, समानता और स्वतंत्र भाषण के लिए कोई जगह नहीं है. असल में वहां चुनाव या संसदीय लोकतंत्र के लिए कोई स्थान ही नहीं है.'
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की गलत कश्मीर नीति के सबसे बड़े पीड़ितों एक कश्मीर घाटी के लोग हैं. पिछले तीन सालों से आतंकवादी अप्रैल, मई और जून के महीनों में अपनी गतिविधियां बढ़ा देते हैं ताकि पर्यटन सीजन में घाटी की आर्थिक जीवन रेखा पंगु हो जाए.
उन्होंने कहा, 'वे अदालतों को आतंकित करते हैं, संपादकों की हत्या करते हैं, निर्दोष नागरिकों को मारते हैं, अन्य धर्मावलंबियों को अपने धर्म का पालन नहीं करने देते हैं. कश्मीर के नागरिकों के मानवाधिकारों को कौन खतरे में डाल रहा है? इसका जवाब स्पष्ट है कि वे आतंकवादी और जेहादी हैं जिन्होंने ऐसा किया है.'
उन्होंने कहा, 'पूरा देश अपने निर्दोष नागरिकों की रक्षा के वास्ते अपने सुरक्षाकर्मियों को लगाने में भारी कीमत उठाता है. कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं.'
जेटली ने लंबे पोस्ट के अंत में कहा कि हमारी नीति होनी चाहिए 'हर भारतीय, चाहे वह आदिवासी हो या फिर कश्मीरी, उनके मानवाधिकारों की आतंकियों से रक्षा की जाए.'