वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कालाधन मामले में खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने की कांग्रेस समेत विभिन्न पक्षों की मांग की तीखी आलोचना की है. जेटली ने कहा कि अनधिकृत तरीकों से नामों का खुलासा करने पर जांच गड़बड़ा सकती है और इसका फायदा दोषियों को मिल सकता है.
रविवारक को जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर एक संदेश में कहा, 'अनधिकृत तरीके से सूचनाओं का प्रकाशन जांच व आर्थिक, दोनों लिहाज से जोखिम भरा है. इस तरह से जांच गड़बड़ा सकती है. इससे विदहोल्डिंग कर के रूप में (देश को) पाबंदी का सामना भी करना पड़ सकता है.' जेटली की इस टिप्पणी से पहले रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विदेश में जमा धन को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा.
अपने संदेश में जेटली ने ऐसे लोगों पर सवाल खड़ा किया जो कर संधियों की परवाह किए बगैर नामों को उजागर करने की मांग कर रहे हैं. वित्तमंत्री ने लिखा है, 'कांग्रेस पार्टी का रवैया समझ में आता है. वह नहीं चाहती कि (कालेधन की जांच के लिए गठित) एसआईटी के पास पहुंचे नामों के सिलसिले में सबूत मिलें. क्या दूसरे भी नासमझ हैं जो केवल वाहवाही लूटना चाहते हैं या वे किसी और के लिए झंडा बुलंद कर रहे हैं.' मंत्री ने विश्वास जताया कि सुप्रीम कोर्ट जज द्वारा गठित एसआईटी काले धन की सच्चाई उजागर करने में कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार ने अपने पास उपलब्ध सारे नाम 27 जून 2014 को ही एसआईटी को सौंप दिए थे.
एनडीए का रिकॉर्ड अनुकरणीय
जेटली ने लिखा है कि इस मामले में एनडीए सरकार का रिकॉर्ड अनुकरणीय है. सरकार सच्चाई की खोज में एसआईटी का पूरी तरह से और बेलाग समर्थन करेगी. सरकार के सामने विकल्प यह है कि वह सूचनाओं को अनाधिकृत तरीके से जारी कर दे या उन्हें संधियों के अनुसार सामने लाया जाए. जेटली ने कहा कि दूसरा तरीका उचित और अपने हित में है.
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले सप्ताह एचएसबीसी बैंक जेनेवा में खाता रखने वाले 627 भारतीयों के नाम एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी. विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कालेधन के मामले में अपने चुनावी वादे से मुकर रही है.
...तो वह मुकदमे से बच जाएंगे
जेटली ने कहा है कि संधि का उल्लंघन कर यदि नाम जाहिर किए गए तो इससे फायदा खाताधारकों को ही होगा, क्योंकि दूसरे देश इन अनाधिकृत खातों के बारे में सबूत देने से मना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अनाधिकृत खाते रखने वाले बिना सबूत या पुष्टि के जांच या मुकदमे में बच जाएंगे और फिर दावा करेंगे कि ‘मैं सही साबित हुआ हूं’.
उन्होंने कहा कि समय से पहले सूचना प्रकाशित होने से खाताधारक और सतर्क हो जाएंगे व वे कोई दस्तावेज तैयार करवा लेंगे या कोई बहाना ढूंढ लेंगे और उन्हें सबूत नष्ट करने का मौका भी मिल जाएगा.
जेटली ने कहा कि कर संबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान की व्यवस्था के लिए बर्लिन में 50 देशों की बैठक में भारत हिस्सा नहीं ले सका, क्योंकि इसके गोपनीयता संबंधी उपबंध भारतीय कानून के हिसाब से असंवैधानिक हैं. उन्होंने कहा, ‘इस दृष्टिकोण पर दुबारा विचार करने की जरूरत है. सूचनाओं के आदान प्रदान की व्यवस्था अधिकृत व अनाधिकृत दोनों तरह के धन के लिए होगी.' अमेरिका के विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के संबंध में वित्तमंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक ने सरकार को आगाह किया है कि यदि भारत अमेरिका के इस कानून के साथ नहीं चला तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. इस कानून में भी गोपनीयता संबंधी उपबंध हैं.
-इनपुट भाषा से