बीमा विधेयक पर सरकार ने पहले सर्वदलीय बैठक बुलाकर सहमति बनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनती देख वित्त मंत्री ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. अरुण जेटली ने साफ कहा है कि बीमा विधेयक सेलेक्ट कमेटी के पास नहीं जाएगा. विधेयक पर जेटली की तरफ से साफ तौर पर कहा गया है कि या तो विधेयक को पारित करें, या संशोधित करें या फिर गिरा दें. इस विधेयक पर एनसीपी भी कांग्रेस का साथ छोड़ सरकार के साथ आ गई है. उधर सरकार को एनसीपी के रूप में इस मसले के समर्थन में नया साथी मिल गया है. एनसीपी का मानना है कि ये विधेयक कांग्रेस के कार्यकाल में ही लाया गया था तो इस पर विरोध उचित नहीं है.
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘यह विधेयक हमने ही 2008 में पेश किया था. केवल विरोध करने के लिए इसका विरोध किया जाना उचित नहीं है. वर्तमान सरकार ने यहां तक मान लिया है कि हम जो संशोधन चाहते हैं उस पर वो विचार करेगी तो इसका विरोध जायज नहीं है. कांग्रेस के वक्त का बिल है जिसे एनडीए लेकर आ रही है तो विरोध आखिर क्यों.’ उन्होंने साथ ही कांग्रेस से भी इस बिल का समर्थन करने की अपील की.
इससे पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन ये बैठक बेनतीजा रही. दो दिन बाद फिर से सर्वदलीय बैठक प्रस्तावित है.
कांग्रेस का कहना है कि इसमें 11 नए संशोधन किए गए हैं इसलिए इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाना चाहिए. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हम विचार कर रहे हैं कि कौन से नए संशोधन राष्ट्रहित में हो सकते हैं.’
उधर शिवसेना ने इस बिल का समर्थन करने का मन बना लिया है. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ‘विधेयक में रुकावट नहीं डालेंगे. मोदी की सरकार कुछ अच्छा करना चाहती है.’ जबकि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि इस पर आम राय बनाई जानी चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
नौ विपक्षी दलों द्वारा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को यह विधेयक सेलेक्ट कमिटी को सौंपने के लिए नोटिस देने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकेया नायडू ने नेताओं से मुलाकात की.
ऊपरी सदन में एनडीए के पास बहुमत नहीं है और उसे अपने पहले बड़े आर्थिक सुधार विधेयक के लिए दूसरे दलों का समर्थन जुटाना होगा. विपक्ष मांग कर रहा है कि बीमा कानून (संशोधन) विधेयक सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए. सरकार ने इस विधेयक को सोमवार को राज्यसभा में चर्चा के लिए लाने की अपनी योजना को रविवार रात स्थगित कर दिया. संसदीय कार्यमंत्री एम वैंकेया नायडू ने रविवार को कहा था कि वह और वित्त मंत्री कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं से इस विधेयक के विभिन्न मुद्दों पर बात करेंगे. इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने का प्रावधान है. नायडू ने इस विधेयक को पारित करने में विपक्ष से सहयोग करने की अपील करते हुए कहा है कि सरकार विपक्ष के किसी भी अर्थपूर्ण सुझाव पर गौर करने के लिए तैयार है.
इस विधेयक में बीमा क्षेत्र की निजी कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी को 49 फीसदी तक करने की छूट है. साथ में शर्त है कि इनका प्रबंधकीय नियंत्रण भारतीय भागीदारों के ही हाथ में होगा. अभी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी भागीदारी (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 26 फीसदी है.