देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा बाघों की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए चीन की सीमा से लगे दिबांग वन्यजीव अभ्यारण्य में विस्तृत सर्वेक्षण के बाद अरुणाचल प्रदेश में तीसरा बाघ अभ्यारण्य बनाया जा सकता है.
संस्थान द्वारा फरवरी-मार्च में कराये गये प्रारंभिक सर्वेक्षण के दौरान बाघों की उपस्थिति के बारे में पुष्टि की गयी. रिपोर्ट के आधार पर, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने हाल ही में राज्य वन विभाग को बाघ अभ्यारण्य घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा था. वन के उप मुख्य संरक्षक (वन्य जीव) पी रिंगू ने बताया कि एनटीसीए द्वारा अगर आवश्यक निधि जारी कर दी जाती है तो अगले नवंबर से डब्ल्यूआईआई सर्वेक्षण शुरू किया जा सकता है.
रिंगू ने बताया कि इस सर्वेक्षण को पूरा होने में अनुमानित छह महीने का समय लग सकता है क्योंकि अभ्यारण्य बहुत बड़ा है और यह 4000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है.
राज्य वन अधिकारियों ने दिसंबर 2012 में अभ्यारण्य के अंग्रिम वैली से बाघ के तीन शावकों को बचाया था जिसके बाद दिबांग वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली थी.