ऐसा लगता है कि लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय का और विवादों का चोली-दामन का साथ है. अरुंधति केंद्र सरकार पर अपना हमला जारी रखते हुए एक बार फिर कुछ ज्यादा ही बोल गईं. जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को छात्रों के प्रति संवेदना जाहिर करते वक्त बुकर प्राइज विजेता अरुंधति रॉय कुछ ऐसा बोल गईं जो फिर विवाद का कारण बन सकता है.
रॉय ने जामिया में कहा, "मैं यहां यह कहने के लिए आई हूं कि मैं आप सभी के साथ हूं. अगर हम सब एक हो जाएं तो कोई भी डिटेंशन सेंटर हमें कैद करने के लिए काफी नहीं होगा. वो इतना बड़ा डिटेंशन सेंटर नहीं बना सकते. शायद, हो सकता है कि एक दिन ऐसा भी आए जब यह सरकार डिटेंशन सेंटर में होगी और हम सभी आजाद होंगे. हम पीछे नहीं हटेंगे."
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पहले भी दिया था विवादित बयान
यहां आपको याद दिला दें कि जानी-मानी लेखिका अरुंधति रॉय पहले भी अपने बयान को लेकर विरोध झेल चुकी हैं. पिछले दिनों नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में उन्होंने कहा था, "एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए. अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं."
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मां पहले दस्तावेजों को बचाती है
अरुंधति रॉय ने बेहद तल्ख अंदाज में सरकार की आलोचना करते हुए कहा था, "नॉर्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है. क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा."