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विकलांग अरुणिमा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया

25 वर्षीय विकलांग अरुणिमा ने ऐसा अजूबा कर दिखाया, जिसे हर कोई सलाम कर रहा है. अरुणिमा ने प्रोस्‍थेटिक पैरों की मदद से माउंट एवरेस्‍ट पर विजय हासिल की और ऐसा करने वाली वह विश्‍व की पहली महिला बन गई.

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अरुणिमा
अरुणिमा

25 वर्षीय विकलांग अरुणिमा ने ऐसा अजूबा कर दिखाया, जिसे हर कोई सलाम कर रहा है. अरुणिमा ने प्रोस्‍थेटिक पैरों की मदद से माउंट एवरेस्‍ट पर विजय हासिल की और ऐसा करने वाली वह विश्‍व की पहली महिला बन गई.

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उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर की निवासी अरुणिमा को 12 अप्रैल 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते समय कुछ अपराधियों ने पदमावती एक्सप्रेस से बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना पैर गंवा बैठी थी. पैर गंवाकर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और जिंदगी को सर उठा के जीती रही.

अरुणिमा ने टाटा स्‍टील एडवेंचर फाउंडेशन के सहयोग से विश्‍व की सबसे ऊंची चोटी पर मंगलवार सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर तिरंगा फहराया. यह संयोग ही है कि उन्‍होंने यह महान उपलब्धि सर एडमंड हिलेरी एवं तेनजिंग नॉर्गे द्वारा 29 मई, 1953 को विश्‍व की सर्वोच्‍च चोटी पर हासिल की गई विजय की 60वीं जयंती पर हासिल की.

अरुणिमा ने टाटा स्‍टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) की चीफ एवं एवरेस्‍ट पर फतह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला सुश्री बचेन्‍द्री पाल के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण हासिल किया. अरुणिमा ने अपनी यात्रा काठमांडू से प्रारंभ की और अपना अभियान 52 दिनों में पूरा किया. अरुणिमा राष्‍ट्रीय स्‍तर की पूर्व वालीबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं और एक दुर्घटना में उन्‍होंनें अपने एक पैर गंवा दिए थे.

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इस प्रकार की असाधारण प्रतिभाओं को निरंतर समर्थन और सहयोग देनेवाली टाटा स्‍टील माउंट एवरेस्‍ट पर विजय हासिल करने के सपने को साकार करने में 26 वर्षीया अरुणिमा की मदद के लिए आगे आयी थी. टाटा स्‍टील उनके इस अभियान की प्रायोजक थी और कंपनी ने उन्‍हें इस चुनौतीपूर्ण अभियान के लिए आवश्‍यक प्रशिक्षण एवं मेंटरशिप उपलब्‍ध कराया.

बचेन्‍द्री पाल ने विश्‍व के सबसे ऊंचे शिखर पर ध्‍वज फहराने के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए अरुणिमा को प्रशिक्षण दिया. उन्‍होंने अरुणिमा के प्रशिक्षण एवं उनकी प्रगति पर निरंतर नजर रखी और उन्‍हें इस बात का भरोसा था कि साहसिक अभियानों में रुचि रखने वाली और विशेष क्षमता से सम्‍पन्न अरुणिमा यह उपलब्धि अवश्‍य हासिल करेंगी. उनका यह भरोसा अंतत: सही साबित हुआ.

अपने बधाई संदेश में श्री बचेन्‍द्री पाल, चीफ-टीएसएएफ ने कहा, 'हम इस विश्‍व रिकॉर्ड के लिए अरुणिमा को बधाई देते हैं. हमें इस बात का गर्व है कि वे टाटा स्‍टील एडवेंचर फाउंडेशन की कै‍डेट रही हैं. यह पूरे देश के लिए एक गौरव भरा क्षण है. अरुणिमा ने अदम्‍य साहस, दृढ़ता एवं इच्‍छाशक्ति का परिचय दिया और प्रशिक्षण अवधि में ही उनकी दृढ़ इच्‍छाशक्ति स्‍पष्‍ट रूप से दिख रही थी. उन्‍होंने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद यह उपलब्धि हासिल की और अब वे पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गयी हैं.'

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