भारत के अरविंद अडिगा को उनकी कृति ‘द व्हाइट टाइगर’ के लिए मैन बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है. पुरस्कार राशि के रूप में उन्हें 50 हजार पाउंड की ईनामी राशि दी गई.
33 वर्षीय अडिगा अपने पहले उपन्यास के लिए नॉमिनेशन पाने वालों में सबसे कम उम्र के लेखक हैं. मैन बुकर पुरस्कारों के इतिहास में इससे पहले सिर्फ दो और लोगों को ही अपनी पहली पुस्तक के लिए मैन बुकर पुरस्कार दिया गया है.
2003 में डी बी सी पियरे को ‘वर्नन गॉड लिटिल’ और 1997 में भारत की अरुंधति रॉय को अपनी पहली पुस्तक ‘द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स’ के लिए बुकर पुरस्कार मिल चुका है.
अडिगा बचपन से ही उपन्यासकार बनना चाहते थे. उनका जन्म चेन्नई में हुआ था और अब अडिगा मुंबई में रहते हैं. ‘द व्हाइट टाइगर’ भारतीय गांव से आए एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो आगे जा कर एक सफल बिजनेस मैन बनता है.
अडिगा बुकर पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के चौथे व्यक्ति हैं. इससे पहले सलमान रश्दी, अरुंधति रॉय और किरण देसाई को क्रमशः 1981, 1997 और 2006 में यह पुरस्कार मिल चुका है.
इसके अलावा भारतीय मूल के पांचवे लेखक वी. एस. नायपॉल को भी 1971 में उनकी पुस्तक ‘इन ए फ्री स्टेट’ के लिए बुकर पुरस्कार दिया जा चुका है.
द मैन बुकर पुरस्कार 2008 के लिए छह लेखकों की कृतियों का चयन किया गया था. अरविंद अडिगा (द व्हाइट टाइगर), सेबस्तियन बैरी (द सीक्रेट स्क्रीपचर), अमिताभ घोष (सी आफ पोपीज), लिंडा ग्रांट (द क्लोदस आफ देयर बैक्स), फिलीप हेंसर (द नार्दन सेलीमेसी) और स्टीव टोल्ज (ए फ्रैक्शन आफ द होल).