लोकसभा चुनाव के दौरान वारणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था. इस मुकाबले में जीते तो मोदी पर चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने केजरीवाल पर चुप्पी बनाए रखी. उस वक्त हर किसी के मन में यही सवाल था कि मोदी ऐसा क्यों कर रहे हैं? अब प्रधानमंत्री ने खुद ही इसकी वजह का खुलासा किया है.
भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने बीजेपी को बड़ी पटखनी दी हो, लेकिन कई महीने पहले तक प्रधानमंत्री उन्हें एक छोटे शहर का नेता मानते थे, जिस के बारे बयानबाजी करना वक्त बर्बाद करने के समान होता.
मोदी ने बीबीसी के पूर्व पत्रकार लांस प्राइस से पिछले साल जुलाई में यह बात कही थी. प्राइस ने इस बात का जिक्र अपनी पुस्तक 'द मोदी एफेक्ट: इनसाइड नरेन्द्र मोदीज कंपेन टू ट्रांसफॉर्म इंडिया' में किया है.
इस किताब में वाराणसी में आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मोदी के बीच मुकाबले का भी जिक्र है. केजरीवाल पर चुनाव प्रचार के दौरान चुप्पी के बारे में पूछे जाने मोदी ने प्राइस से कहा, 'मेरी खामोशी मेरी ताकत है. आपको यह जानना चाहिए कि बड़े नजरिए में, केजरीवाल और कुछ नहीं बल्कि एक शहर के एक छोटा नेता हैं. विपक्ष के अन्य नेताओं के मुकाबले उन्हें जरूरत से ज्यादा सुर्खिया मिल रही हैं. ऐसे में किसी की अनदेखी करने में भी समय क्यों गंवाया जाए? इसलिए, यह इस लायक भी नहीं है कि मैं केजरीवाल को नजरअंदाज करने में अपना समय गवाउं.'
मोदी ने कहा, 'केजरीवाल को नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने और कांग्रेस को बचाने के लिए मीडिया के एक चुनिंदा समूह ने कांग्रेस के इशारे पर उछाला. यह ध्यान रखें कि वह सांसद भी नहीं हैं, मुख्यमंत्री के रूप में वह केवल 49 दिन रह पाए और राष्ट्रीय मत का एक प्रतिशत भी नहीं पा सके.'
मतगणना के वक्त टीवी नहीं देख रहे थे मोदी
16 मई 2014 की तारीख को ही नरेंद्र मोदी के हाथों में देश की कमान आ गई वो भी प्रचंड बहुमत के साथ. लेकिन चुनाव नतीजों के दिन खुद नरेंद्र मोदी क्या कर रहे थे. कहां थे वो. मोदी के दिलोदिमाग में उस वक्त क्या कुछ चल रहा था. इन सवालों के जवाब भी नरेंद्र मोदी ने दिए हैं.
उन्होंने कहा, 'सुबह में जब वोटों की गिनती चल रही थी उस वक्त मैं पूरी तरह अकेला था. मेरे पास कोई टीवी सेट भी नहीं था. मैं ध्यान कर रहा था. उस दिन मेरी पहली बातचीत राजनाथ सिंह से हुई. दोपहर बाद मैंने पहला कॉल उन्हीं का रिसीव किया. राजनाथ सिंह की राय थी कि ऐसा तो होना ही था. हमें पहले से पता था कि हमें बड़ा बहुमत मिल रहा है.'
ऐसे तमाम दिलचस्प राज इस किताब में सामने आया है. मोदी ने ये भी बताया कि कैसे उन्हें पहले ही ये अहसास हो गया था कि लोकसभा चुनाव के दौरान वो पीएम पद के कैंडिडेट हो सकता हैं. हालांकि, उन्हें इतनी जल्दी उम्मीदवारी मिल जाएगी, इसकी उम्मीद नहीं थी. किताब में मोदी की प्रचार नीति पर भी लंबी बातचीत है. कैसे मोदी ने मीडिया से दूरी बनाकर अपने लिए दिलचस्पी जगाई, इसका जिक्र भी मोदी ने किया है.