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केजरीवाल ने कहा था- दिल्ली छोड़कर नहीं जाऊंगा, अब बोले- पंजाब में खूंटा गाड़कर बैठूंगा

दरअसल, बात यहां सिर्फ वादे की नहीं है. बात उस अहंकार की भी है, जिसका खाका केजरीवाल ने रामलीला मैदान से मंच से खींचा था.

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शपथ ग्रहण के दौरान अरविंद केजरीवाल
शपथ ग्रहण के दौरान अरविंद केजरीवाल

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बीते साल वैलेंटाइंस डे के दिन 'भगवान के आदेश पर' दिल्ली से दिल लगाने वाले अरविंद केजरीवाल ने एक साल, सात महीने बाद ही वह किया, जिसके लिए सियासी तौर पर उनकी भद पिटती आई है. यू-टर्न! जी हां, कभी रामलीला मैदान से 5 साल तक दिल्ली नहीं छोड़कर जाने की शपथ लेने वाले इस 'आम आदमी' ने बुधवार को पंजाब में चुनाव तक 'खूंटा गाड़ने' की बात कही है. खास बात यह है कि दिल्ली का साथ कभी नहीं छोड़ने का वादा करने केजरीवाल की सरकार दिल्ली में व्हाट्सअप पर चल रही है और उनके मंत्री गोवा और पंजाब के लिए सियासी सुर कस रहे हैं.

दरअसल, बात यहां सिर्फ वादे की नहीं है. बात उस अहंकार की भी है, जिसका खाका केजरीवाल ने रामलीला मैदान से मंच से खींचा था. याद कीजिए तो 14 फरवरी 2015 को शपथ ग्रहण के बाद केजरीवाल ने कहा था, 'मैं सुन रहा हूं कि हमारे नेता कह रहे हैं कि दिल्ली जीता अब देश के दूसरे राज्यों को भी जीतेंगे. ये ठीक नहीं है. इसमें अहंकार दिखता है. अहंकार मत करना, वर्ना वही हाल होगा, जो कांग्रेस का हुआ. बीजेपी का हुआ. जनता से कांग्रेस को अहंकार की वजह से ही दिल्ली से उखाड़ फेंका. अहंकार के कारण ही बीजेपी का लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में यह हश्र हुआ.'

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सत्ता का नशा और पंजाब-गोवा की राह
तो ये वो बातें थीं जो तब केजरीवाल ने कही थी. 49 दिन की सरकार के बाद दूसरी बार दिल्ली के सिरमौर बने सीएम ने यह भी कहा था कि अब वह 5 साल तक कहीं नहीं जाएंगे. यही नहीं, इसके लिए उन्होंने भगवान के आदेश का जिक्र भी किया था. लेकिन साफ जाहिर है कि बीते एक साल में कहीं न कहीं सत्ता का सोमरस आम आदमी पार्टी के सिर ऐसा चढ़ा कि अब नशा पंजाब को 'नशामुक्त' करने का भी है और गोवा की फेनी का भी.

भगवान के आदेश का क्या हुआ?
सवाल ये भी है कि अगर बीते साल दिल्ली में केजरीवाल ने जो कहा वो भगवान का आदेश था, तो यकीनन गुरुवार को उन्होंने लुधि‍याना में जो कहा वह उस आदेश की अवहेलना जैसा. और जब केजरीवाल खुद रामलीला मैदान में यह स्वीकार चुके हैं कि भगवान ने उन्हें बनारस के लिए दिल्ली छोड़ने की सजा दी थी तो क्या उन्होंने उससे कोई सीख नहीं ली. क्यों‍कि केजरीवाल ने खुद कहा था, 'लोकसभा चुनाव में जो हुआ, वह भगवान ने सजा दी है. अहंकार की. मुझे भगवान ने आदेश दिया है, दिल्ली की जनता ने आदेश दिया है और अब मैं पांच साल कहीं नहीं जाऊंगा.'

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जिम्मेदारी लेने और छोड़ने में माहिर हैं केजरीवाल!
विरोधि‍यों में अरविंद केजरीवाल के बारे में यह बात बड़ी मशहूर है कि वह एक जिम्मेदारी मिलते ही अगली के लिए पहली को छोड़ देते हैं. मसलन, केजरीवाल आईआईटी में इंजीनियर बने तो आईआरएस के लिए इंजीनियरिंग छोड़ दी. एनजीओ का काम करने के लिए आईआरएस की नौकरी छोड़ दी. सड़क पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एनजीओ का काम छोड़ दिया और राजनीति करने के लिए आखिरकार सड़क पर सक्रिय कार्यकर्ता का काम छोड़ दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली छोड़ दी. तो क्या अब यह मानकर चला जाए कि दिल्ली के सीएम अब पंजाब और गोवा की राह पर चल पड़े हैं.

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