अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के मुकदमे में मंगलवार वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व बीजेपी नेता राम जेठमलानी फिर आमने-सामने थे. दूसरे दिन की सुनवाई में दोनों के बीच जिरह जारी रही. जेटली को जेठमलानी के कुल 19 सवालों का सामना करना पड़ा. इनमें से 3 सवालों को अदालत गैर-जरुरी बताते हुए खारिज कर दिया. जेठमलानी मामले में केजरीवाल के वकील हैं. उन्होंने जेटली पर उनकी चुनावी पारी से लेकर डीडीसीए में उनके हितों के टकराव तक कई चुभते सवाल दागे. सोमवार को भी जेठमलानी ने जेटली से 52 सवाल पूछे थे. केस में अगली जिरह 15 और 17 मई को होगी.
जेठमलानीः आपको (जेटली) केजरीवाल से कोई दुश्मनी नहीं है?
जेटली: मुझे कोई निजी दुश्मनी नहीं है लेकिन मुझे उनका नहीं पता. एक बार वो डीडीसीए का प्रेजीडेंट का चुनाव लड़े और हार गए. यहां तक कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने मेरे खिलाफ जमकर प्रचार किया.
जेठमलानी: आप अमृतसर चुनाव की बात कर रहे हैं? क्या ये सही नहीं कि पहली बार आप गुजरात के अलावा कहीं और से चुनाव लड़ना चाहते थे?
जेटली: हां
जेठमलानी: आप अमृतसर से चुनाव लड़ रहे थे तो भी गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे?
जेटली: हां
राम: क्या ये आपका पहला लोकसभा चुनाव था?
जेटली : हां मैं पहली बार लड़ा था.
जेठमलानी: क्या आपको लोकसभा चुनाव में मोदी ने उम्मीदवार बनाया था? आप पहली बार लोकतंत्र के पैमाने पर अपनी महान प्रतिष्ठा को आंक रहे थे?
जेटली: जी हां, किसी भी चुनाव का नतीजा उस इलाके के कई कारणों पर निर्भर करता है. जरुरी नहीं ये किसी प्रत्याशी के सम्मान की परख हो. केजरीवाल भी उसी चुनाव में वाराणसी से करीब 3.5 लाख वोटों से हारे थे.
जेठमलानी: क्या ये सही है कि आप एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हारे?
जेटली : जी हां.
जेठमलानी: उस वक्त राज्यसभा में आपके 2 साल बाकी थे?
जेटली : राज्यसभा के कार्यकाल में चार साल बचे थे.
जेठमलानी: क्या कोई खास वजह है कि पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने आपके खिलाफ संगीन आरोप लगाए हैं?
जेटली: उनके आरोप एसोसिएशन (डीडीसीए) से जुड़े हैं. बतौर अध्यक्ष मैंने बेदी को चीफ कोच बनाया था. उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद भी मैं नरमी से पेश आता रहा. जब तक प्रधानमंत्री ने शपथ ली, तब तक मैं बीसीसीआई और डीडीसीए से नाता तोड़ चुका था.
जेठमलानी: क्या ये सच नहीं है कि बतौर संरक्षक भी आप डीडीसीए और बीसीसीआई की बैठकों में जाते रहे?
जेटली: मुझे ऐसी सिर्फ एक मीटिंग की याद है.
(जेठमलानी जेटली को एक चिट्ठी देते हैं)
जेठमलानी: क्या इस चिट्ठी में ऐसा कुछ है जिसे पढ़कर आप इतना गुस्सा हो जाएं कि मेरे खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर हों?
जज: आप सिर्फ सवाल पूछें. चिट्ठी जेटली को देने पर अदालत फैसला करेगी.
जेठमलानी: क्या पीएम जानते थे कि आप चिट्ठी में लगे आरोपों से हुई मानहानि पर एक्शन लेंगे?
जेटली: ये चिट्ठी जनवरी 2014 की है जबकि मैंने कानूनी कार्रवाई दिसंबर 2015 में की. मैं 2014 में सूचना प्रसारण विभाग का प्रभारी बना. मई 2014 में मैं प्रभारी नहीं था. अब मैं फाइनेंस एंड कोरपोरेट अफेयर्स विभाग में मंत्री हूं.
जेठमलानी: क्या प्रधानमंत्री ने ये चिट्ठी आपको दिखाई थी? क्या आप पढ़कर बता सकते हैं कि इसमें क्या झूठ लिखा है?
(जेटली के वकील ऐतराज करते हैं)
जेटली: अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी मैंने चिट्ठी में लगाए आरोपों का खंडन किया था. मैंने वित्त मंत्री या सांसद रहते हुए कभी भी मंत्रालय या दस्तावेजों का सहारा नहीं लिया. मेरे सामने संसद में कभी भी डीडीसीए से जुड़ा सवाल नहीं आया. पद के साथ हितों के टकराव का सवाल नहीं उठता क्योंकि मैं उस वक्त तक डीडीसीए को छोड़ चुका था.
जेठमलानी : मैंने ये नहीं पूछा कि आपने लैटर के बाद क्या किया?
जेटली : मैंने साफ जवाब दिया है कि मैं चिट्ठी मे लिखी बातों से इनकार करता हूं.
जेठमलानी: क्या आप जानते हैं कि पत्रकार मधु किश्वर ने आपके परिवार पर डीडीसीए से जुड़े होने का आरोप लगाया था?
जेटली : मैं नहीं जानता उन्होंने कब ऐसा कहा.
जेठमलानी: उनका बयान दिसंबर 2015 में आया था. केजरीवाल ने इन आरोपों को सिर्फ रिट्वीट किया था.
जेटली: केजरीवाल ने मुझे झूठ के सहारे बदनाम करने का संगीन काम किया है. मेरी पत्नी और बेटी पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने सार्वजनिक बहस का स्तर गिराया. सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग आरोप लगाते रहते हैं. लेकिन अगर एक मुख्यमंत्री उनका समर्थन करें तो ये गंभीर बात है.