डेढ़ साल पहले अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे से किनारा किया था. लेकिन आम आदमी पार्टी का गठन करते हुए उन्होंने वादा किया था कि वे अन्ना के सपनों को सरकार में आकर पूरा करेंगे. भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लोकपाल का सहारा लेंगे. लेकिन वे दिल्ली में अलग ही मुद्दे लेकर आगे बढ़े. केजरीवाल के विरोधी उन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वे ऐसे वादे करते हैं, जो कभी पूरे नहीं हो सकते. लेकिन यदि केजरीवाल अपने एजेंडे पर चले तो क्या फर्क दिखाई देगा दिल्ली में, एक नजर डालते हैं-
1. ऑटो वाले- पिछले चुनाव से ही दिल्ली के ऑटो रिक्शा वाले केजरीवाल के कट्टर समर्थक के रूप में उभरे हैं. इस चुनाव में भी जगदीश मुखी के पोस्टर लगाकर उन्होंने बीजेपी की किरकिरी शुरू की. इन चलते-फिरते आप प्रचारकों को आप का फ्री हैंड होगा. शायद हो सकता है कि अगले पांच साल ये ट्रैफिक पुलिस पर भारी नजर आएं.
2. झुग्गी वाले- चुनाव के दौरान केजरीवाल बार-बार झुग्गी वालों का जिक्र करते रहे. खासतौर पर उन इलाकों वाले जहां उन्हें हाल ही में हटाया गया. वे वादा करते रहे हैं कि उनकी सरकार में झुग्गी वालों को नहीं हटाया जाएगा. हो सकता है कि इससे उत्साहित होकर दिल्ली के कुछ पॉश इलाकों में भी झुग्गियां उभर आएं.
3. रेहड़ी वाले- आम आदमी पार्टी की जीत की सबसे ज्यादा प्रार्थना तो यही वर्ग कर रहा था. केजरीवाल शुरू से वादा कर रहे हैं कि पुलिस और एमसीडी के लोग, जो इनसे उगाही करते हैं, वह बंद करा दी जाएगी. वे बेखौफ कहीं भी कारोबार कर सकते हैं. हो सकता है कि साकेत के सिलेक्ट सिटी मॉल के बाहर हाट-बाजार लगने लगे.
4. छोटे कारोबारी- छोटी-छोटी दुकानों के जरिए कारोबार करने वालों के लिए भी केजरीवाल की जीत एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है. आप ने राज्य में टैक्स का प्रारूप आसान बनाने का वादा किया है. साथ ही कहा है कि उन्हें टैक्स के लिए विभागों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी, सब आपके दरवाजे पर होगा. अब सेल्स टैक्स विभाग के अफसरों वाला रौब इन कारोबारियों के चेहरे पर भी देखा जा सकता है.
5. बिजली बिल- आम आदमी पार्टी का वादा है कि 400 युनिट से कम के बिजली बिलों की दर आधी कर दी जाएगी. लेकिन दिल्ली में बिजली सप्लाय का जिम्मा तो निजी हाथों में है. आप यहीं नहीं रुकी है. उसका वादा है कि वह इन बिजली कंपनियों के हिसाब-किताब की जांच कराएगी. यानी टकराव. कहीं कारोबारी नुकसान की वजह से ये सप्लाय ठप न हो जाए. क्या दिल्ली तैयार है यूपी की तरह घंटों बिजली कटौती के लिए. या 'जैसा चल रहा है, चलने दो' का एक कंप्रोमाइज फॉर्मूला लाया जाएगा.
6. पुलिस- सबसे बड़ी तनातनी इसी महकमे को लेकर है. दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन होती है. जिन लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उस पर है, उसने आप को चुना है. दिल्ली पुलिस के काम करने का अपना तरीका है और पिछली 49 दिन की सरकार में आप का उनसे जबर्दस्त टकराव रहा है. अब जबकि आप के पास 90 फीसदी से ज्यादा सीट है, तो दिल्ली पुलिस पर कुछ दबाव दिखेगा ही.
7. सेल्स टैक्स- जब छोटे कारोबारियों को राहत देने की बात आई तो आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा फोकस सेल्स टैक्स विभाग के कामकाज पर दिखाया. वैट के लिए 30 पेज का फॉर्म एक पेज का करने जा रहे हैं. इसके अलावा अब सेल्स टैक्स विभाग छापे नहीं मार पाएगा. यदि उसे ऐसा करना भी होगा तो पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी.
8. एमसीडी- दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के बोर्ड पर फिलहाल बीजेपी काबिज है. लोगों का सबसे ज्यादा वास्ता एमसीडी से ही पड़ता है. लोगों की परेशानी को लेकर अब आप एमसीडी पर दबाव बनाएगी. और बीजेपी एमसीडी के जरिए आप पर. यह तनातनी अब शुरू होगी.
9. नर्सरी एडमिशन- दिल्ली में बच्चों के स्कूल में दाखिले की मारामारी हमेशा से राष्ट्रीय खबर रही है. आप ने इस मारामारी को दूर करने के लिए सेंट्रल ऑनलाइन सिस्टम बनाने का वादा किया है. यानी जितनी सीटें होंगी, उस पर एडमिशन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. ऐसे में स्कूल के स्तर पर होने वाली धांधली रोकी जा सकेगी. यदि ऐसा होता है तो स्कूलों में लगने वाली बच्चे और माता-पिता की कतारें शायद अब दिखाई न दें.
10. पूर्ण राज्य की मांग- जीत के बाद वैसे तो केजरीवाल ने कहा है कि वे किसी तरह भी केंद्र से टकराव का रास्ता नहीं अपनाना चाहते हैं. लेकिन जिस राज्य की सत्ता वे संभालने जा रहे हैं, वहां पर आधा शासन केंद्र का ही है. इसीलिए उनके एजेंडे में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना भी शामिल है. जो शायद केंद्र सरकार कभी नहीं देगी. आने वाले समय में हम इस मुद्दे पर भी कुछ धरने-प्रदर्शन देख सकते हैं.