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आम जनता के लिए आई केजरीवाल की 'AAP'

भ्रष्टाचार से जूझ रही भारतीय जनता के मन में बदलाव की उम्मीद जगाने के लिए आ गई है अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक पार्टी. इस पार्टी का नाम 'आम आदमी पार्टी' (एएपी) रखा गया है.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

भ्रष्टाचार से जूझ रही भारतीय जनता के मन में बदलाव की उम्मीद जगाने के लिए आ गई है अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक पार्टी. इस पार्टी का नाम 'आम आदमी पार्टी' (एएपी) रखा गया है.

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केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी तमाम राजनीतिक पार्टियों से अलग होगी. जिसके दरवाजे सबके लिए खुले होंगे. एएपी के जनक हैं अरविंद केजरीवाल, वही जिन्होंने पिछले दिनों भ्रष्ट सरकार से त्रस्त जनता को इस देश में आशा की ललहलहाती फसल का सपना दिखाया है. अब उस सपने को सच करने की तैयारी है.

केजरीवाल ने कहा, 'आम आदमी पार्टी बिलकुल आम होगी, खास कोई नहीं होगा. न अध्यक्ष होगा, न सचिव, न महासचिव और न ही प्रवक्ता. सभी सदस्य होंगे. देश के कोने-कोने से आम आदमी आ रहे हैं. पढ़े-लिखे, अनपढ़-कामकाजी, बेरोजगार-व्यवसायी, नौकरीपेशा, रेहड़ी पटरी वाले, रिक्शाचालक जिस आम आदमी की इच्छा हो वो यहां आम बन कर रह सकता है.'

पार्टी में भाई भतीजावाद नहीं होगा, जातिवादिता नहीं होगी, खानदानी विरासत की सियासत नहीं होगी. ये कुछ बिंदु हैं जिन्हें आपके सामने रखा गया है ताकि आप यानी एएपी के बारे में कोई भी अपने आप तस्वीर बना सके.

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आम आदमी पार्टी आ गई तो आम आदमी की सरकार मुस्कराने लगी मनीष तिवारी ने कहा कि देश में पहले से 1500 पार्टियां हैं. एक और आ गई, बढ़िया है. बीजेपी ने भी कहा बधाई हो. बीजेपी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी जी बोले हमारी बिरादरी में आने का स्वागत है. लेकिन अब जरा संवैधानिक संस्थाओं की सेहत सुधारिए जिन्हें आप पहले हमेशा कोसते रहे हैं.

सामान्य ज्ञान के लिहाज से मनीष तिवारी ने एक अच्छी जानकारी दे दी कि देश में पहले से 1500 पार्टियां हैं. करीब तीन दशक के लोकतंत्र में लोग चार गुणा बढ़े. तैंतीस करोड़ से सवा सौ करोड़. राजनीतिक पार्टियां कई सौ गुणा बढ़ गई इसके साथ ही भूख, भय और लोगों की चिन्ता भी बढ़ी. राह दिखाने वाले कई आए. किसी ने हाथ हिलाया, किसी ने फूल खिलाया.

कोई साइकिल चलाता है. कोई तीर चलाता है, लेकिन बदलता कुछ नहीं. अब केजरीवाल ने भरोसा दिलाया है कि पूरे देश को बदलना है. आम आदमी की सरकार आम आदमी का ही शोषण करती है.

अलग चाल चरित्र और चेहरा वाली पार्टी का चेहरा पढ़ना बहुत मुश्किल है. इसलिए आम आदमी अपनी ही पार्टी बनाए. पार्टी तो बन गई लेकिन भविष्य के बारे कुछ भी कहना जल्दबाजी है. पिछली सभी पार्टियों का इतिहास और वर्तमान हम देख रहे हैं.

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