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नोटबंदी के बाद टैक्सपेयर्स को बेवजह परेशानी से बचाने के लिए पनगढ़िया ने दिए सुझाव

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर ऐसे नियम बनाने का सुझाव दिया है, जिससे 8 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच पुराने नोट जमा करने वाले लोगों, खासकर महिलाओं को परेशान न किया जाए. उन्होंने कहा कि जो औरतें अपने पास जो पैसे बचाकर बैंक में जमा करती हैं, उस पर सालाना टैक्स छूट के मामले में काई 'उदार' फॉर्मूला होना चाहिए.

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अरविंद पनगढ़‍ियां
अरविंद पनगढ़‍ियां

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नोटबंदी के बाद टैक्सपेयर्स को बेवजह परेशान करने की आशंका के दौर में पहली बार किसी वरिष्ठ सरकारी अध‍िकारी ने अब टैक्स नियमों में बदलाव का सुझाव दिया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर ऐसे नियम बनाने का सुझाव दिया है, जिससे 8 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच पुराने नोट जमा करने वाले लोगों, खासकर महिलाओं को परेशान न किया जाए. उन्होंने कहा कि जो औरतें अपने पास जो पैसे बचाकर बैंक में जमा करती हैं, उस पर सालाना टैक्स छूट के मामले में काई 'उदार' फॉर्मूला होना चाहिए. इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है.

सूत्रों के अनुसार, पनगढ़िया ने पीएमओ को लिखे लेटर में सुझाव दिया है कि 2.5 लाख रुपये तक के पुराने नोट जमा करने वालों से कोई सवाल न पूछा जाए. उन्होंने कहा कि इससे टैक्सपेयर्स और टैक्स अध‍िकारियों, दोनों को राहत मिलेगी, क्योंकि पिछले 50 दिनों में काफी बड़ी संख्या में लोगों ने पुराने नोट जमा किए हैं. इस दौरान 2 लाख से ऊपर की रकम जमा करने वाले लोगों के बारे में जानकारी बैंकों द्वारा इनकम टैक्स विभाग को हर दिन दी जाती रही.

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पनगढ़िया ने सुझाव दिया है कि औरतों के सालाना बचत के मामले में भी कोई 'उदार' फॉर्मूला अपनाना चाहिए. गौरतलब है कि भारत में ज्यादातर गृहणियां अपने पति के वेतन या अन्य

आमदनी का एक हिस्सा बचाकर घर में या बैंकों में रखती हैं. इसे सभी लोग जानते हैं, इसलिए इस मामले में पनगढ़िया का सुझाव है कि पति के आमदनी के एक बड़े हिस्से को औरतों के बचत मद में माना जा सकता है. पनगढ़िया ने कहा कि नोटबंदी से अब टैक्स के नियमों में भी कुछ फेरबदल का समय आ गया है. टैक्स नियमों को सरल बनाया जा सकता है और सरकार टैक्स दरों को कम रख सकती है.

गौरतलब है कि इस बात की आशंका जताई जा रही थी पुराने नोट जमा करने वाले टैक्सपेयर्स को बड़े पैमाने पर टैक्स जांच के दायरे में लाने से इंसपेक्टर राज की वापसी हो सकती है. इससे सभी विभागों में जो कारोबार को आसान बनाने की पहल की गई है, उसका फायदा निरर्थक साबित हो जाएगा. देश में करीब 40 करोड़ बैंक एकाउंट हैं और यदि उनके एक फीसदी की जांच की जाती है, तो इसका मतलब यह है कि करीब 40 लाख एकाउंट की जांच होगी, जबकि अभी तक इनकम टैक्स विभाग हर साल करीब 3.5 लाख टैक्सपेयर्स के खातों की जांच करता रहा है.

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