पारा बढ़ने के साथ ही दिल्ली में डेंगू जैसे बुखार वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. डेंगू जैसे बुखार वाले मरीज आजकल डॉक्टरों की चिंता का सबब बने हुए हैं. डॉक्टरों ने मई और जून की चिलचिलाती गर्मी से पहले इसे 'वेक अप कॉल' बताया है.
शहर के प्रमुख हेल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के आखिर में तापमान में बढ़ोतरी के चलते कुछ गर्म दिनों में ही डेंगू जैसी बीमारियों वाले वायरल फीवर, एलर्जी, सांस संबंधी बीमारियां, टीबी, न्यूमोनिया, जॉन्डिंस और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल के मरीजों की संख्या में 30 फीसदी से ज्यादा तेजी देखी गई है. डॉक्टरों का कहना है कि वे बीमारियों के पैटर्न में बदलाव देख रहे हैं और ये गर्मियों के ठीक शुरुआत में ही हो रहा है. बेहतर होगा कि लोग अभी से सचेत हो जाएं.
बता दें कि बीते शुक्रवार को पारा 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. हालांकि ये भी काफी महत्वपूर्ण है कि मच्छरजनित बीमारियों की शुरुआत मध्य जुलाई से शुरू होकर नवंबर के आखिर तक इनका प्रकोप बना रहता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मच्छर जनित रोगों की शुरुआत इस साल काफी पहले हो सकती है.
मनिपाल हॉस्पिटल के डॉक्टर संजीव बगई ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में वायरल फीवर के मामलों में इजाफा देने को मिला है. ज्यादातर मरीजों में डेंगू जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं. मरीजों में तेज बुखार के साथ शरीर पर रैशेज देखने को मिल रहे हैं. इससे उन्हें उल्टी और एलर्जी हो रही है. अगर ऐसा किसी के साथ हो रहा है, तो उन्हें दो दिनों के भीतर ही डॉक्टर से मिलना चाहिए. न की किसी तरह से खुद से इलाज पर ही निर्भर होना चाहिए.
सर गंगा राम हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉक्टर एसपी बोयत्रा ने कहा कि पिछले दो हफ्ते से बहुत सारे मरीज गर्मी के चलते होने वाली बीमारियों की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. पेट संबंधी बीमारियों जैसे, टायफाइड, फूड प्वाइजनिंग, डायरिया और वायरल फीवर संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं. चिंताजनक बात ये है कि वायरल फीवर के लक्षण डेंगू की तरह हैं. ऐसे में शरीर को हाइड्रेट करने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस साल आने वाले गर्मी के दिन ज्यादा मुश्किल भरे हो सकते हैं. तेज गर्मी में, हीट के चलते क्रैंप हो सकते हैं, शारीरिक थकान और हीट स्ट्रोक लग सकते हैं. गर्मी के दिन में मरीज अक्सर मांशपेशियों में खिंचाव के साथ पिंडलियों और जांघों में भी क्रैंप की शिकायत करते हैं.