ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को अलीगढ़ विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण मुहैया कराने के सवाल पर बेबाक राय रखी. उन्होंने कहा, 'संविधान का अनुच्छेद 30 कहता है कि अल्पसंख्यक संस्थानों में आरक्षण नहीं होगा. आर्टिकल 55 में भी यही बात कही गई है.
उन्होंने कहा कि अलीगढ़ और जामिया में 50 फीसदी तो अपर कास्ट को मिल रहा है. योगी आदित्यनाथ हटा दें यह प्रावधान. योगी अगर दलितों के हमदर्द बन रहे हैं तो उनकी आबादी के मुताबिक उन्हें आरक्षण दें.'
आज तक के 'सीधी बात' कार्यक्रम में ओवैसी ने कहा, 'योगी जी अगर दलित के हमदर्द हैं तो उत्तर प्रदेश में उनकी आबादी के मुताबिक आरक्षण मुहैया कराएं. एससी/एसटी एक्ट पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मोदी सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए. आप संविधान के मुताबिक आऱक्षण नहीं देंगे बल्कि नफरत फैलाएंगे.
ओवैसी ने मोदी सरकार के दलित प्रेम पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ जिस जज ने फैसला दिया, उसे एनजीटी का अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही दलितों से प्रेम हो तो निजी क्षेत्र में भी उन्हें 50 फीसदी आरक्षण दीजिए.
आपसी मसला सुलझाता है शरिया कोर्ट
ओवैसी ने शरिया कोर्ट पर कहा, 17 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समानांतर कोर्ट नहीं. इसे आपसी झगड़ा सुलझाने के लिए गठित किया जाता है. मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही एक आदेश आया था. जस्टिस प्रसाद का फैसला था. इसका मकसद संपत्ति में बंटवारे का हल है, पूरी दुनिया में चलता है. इसके पास कोई ताकत भी नहीं है, यह केवल कानूनी सलाह और विचार देते हैं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के नेता ने कहा कि लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने सड़क पर निकलकर इसके खिलाफ पैगाम दिया. आगर राज्यभा में यह बिल पास भी हो गया तो बीमारी खत्म नहीं होगी. 22 लाख महिलाओं के पति उनके साथ नहीं रहते. उनके साथ क्या होगा, अगर किसी को दो साल सजा होगी तो बीबी इंतजार करेगी कि आइए साथ जिंदगी गुजारेंगे.
उनका कहना है, 'किसी ने इनके कान में कह दिया तो इनको लगा कि सब तारीफ करेंगे, मोदी जी को लगा कि सब तारीफ करेंगे, मैंने इन्हें अपने भाषणों में लगातार कहा कि ऐसे तलाक मत दीजिए. वो मुसलमानों को सबूलियत खत्म करना चाहते हैं.'
ओवैसी ने रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भी बेबाक राय रखी. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी आतंकवादी नहीं हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हमारी रिफ्यूजी नीति के बारे में संयुक्त राष्ट्र में कहा है.
उन्होंने कहा, 'राशन कार्ड या लाइसेंस बनाने को लेकर रोहिंग्या शरणार्थियों को पकडा है. ये सब रिफ्यूजी हैं. उन्हें यूएन ने रिफ्यूजी कार्ड दिया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भी हमसे कहा कि इसे सुलझाए. लगता है कि मुसलमान होने की वजह से इनके साथ ऐसी हो रहा है. हमारी इंटेलीजेंस एजेंसी सो तो नहीं रही हैं. आप कोशिश तो करिए. किसी से जाकर पता करवाइए कि किस हालत में रह रहे हैं. अपना घर छोड़कर आए हैं, बच्चों को मार दिया गया, हमारे पड़ोसी हैं. हमें देखना पड़ेगा.'