महाराष्ट्र सरकार के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने सनातन संस्था पर पाबंदी के मामले में एआईएमआईएम चीफ असदउद्दीन ओवैसी पर निशान साधा, जिसके बाद ओवैसी ने बयान देकर खडसे को सम्मोहन का शिकार बता दिया है, वहीं यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी राजनीतिक है और संविधान में यकीन करती है. जबकि इन सब के बीच सनातन संस्था ने भी अपनी ओर से सफाई दी है.
ओवैसी ने खडसे के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, 'एकनाथ खडसे सम्मोहित हो गए हैं. उनका बयान उनके नजरिए को दिखाता है.' वहीं, सनातन संस्था के प्रवक्ता अभय वर्तक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसी की तर्क बुद्धि, किसी के विवेक को सम्मोहित नहीं किया जा सकता है.'
वर्तक ने आगे कहा कि कोई भी शख्स सम्मोहित होकर गलत काम नहीं कर सकता, न ही सम्मोहन में इतनी ताकत होती है कि किसी का खून कर दे. सनातन संस्था का कहना है कि संस्था को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, वहीं कांग्रेस ने कहा कि एमआईएम और सनातन संस्था की तुलना इसलिए हुई, क्योंकि ओवैसी बीजेपी को फायदा दिलाने में जुटे हैं.
'कुत्ते होते हैं देशद्रोही'
विवाद और बयानों के बीच सनातन संस्था के मासिक अखबार 'सनातन प्रभात' ने देशद्रोही की तुलना कुत्ते से कर दी है. अखबार के सितंबर अंक में लिखा गया है, 'जो राष्ट्रद्रोही हैं, वे कुत्ते हैं और उन्हें जिंदा नहीं छोड़ा जाना चाहिए.'
गौरतलब है कि समीर गायकवाड़ को बिना सबूत गिरफ्तार करने के सवाल पर खडसे ने कहा था कि अगर इस तरह से पाबंदी लगाया गया तो ओवैसी पर पाबंदी लगानी पड़ेगी, एमआईएम पर पाबंदी लगानी पड़ेगी. इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम लोग पाबंदी लगाएं.
कॉमरेड गोविंद पानसरे हत्याकांड के आरोप में सनातन के कार्यकर्ता समीर गायकवाड़ को गिरफ्तार किए जाने के बाद महाराष्ट्र के प्रगतिशील संगठनों और विपक्ष ने सनातन संस्था पर पाबंदी लगाने की मांग की थी.