सूरत में लोग आसाराम को विवादीराम बापू कहते हैं. नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार हुए आसाराम का शायद ही देश में ऐसा कोई आश्रम होगा जहां विवाद न हो. सूरत में भी आसाराम बापू का एक लंबा चौड़ा आश्रम है, जिसकी बुनियाद ही विवादित जमीन पर सन 1983 में रखी गई थी.
आसाराम बापू के सूरत स्थित आश्रम के दूसरे विवाद के बारे में पिछले कई सालों से अपनी जमीन हासिल करने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ते आ रहे समीर भाई व्यास ने बताया कि जिस जहांगीरपुरा इलाके में आसाराम बापू का आश्रम है, उसके ठीक निकट तापी नदी से सटी हुई उनकी भी 30 हजार 464 मीटर जमीन है जिस पर आसाराम ने 1991 में अवैध रूप से कब्जा कर लिया था.
आसाराम ने उनके जैसे अन्य 7 किसानों की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया था जो कुल जमीन 30 हजार 464 मीटर होती थी. आसाराम ने जिन किसानों की जमीन पर कब्जा किया, उस जमीन को तत्कालीन गुजरात सरकार ने 1978 में तापी नदी के तट पर बनने वाली पाड़ा योजना के लिए रिजर्व रखा था. समीर सहित अन्य किसानों को लगा कि सरकार ने जिस उद्देश्य से उनकी जमीन को लिया है उस पर तो अमल नहीं हो रहा है लेकिन आसाराम इस जमीन पर कब्जा कर अपना काम कर रहे हैं, जिसका विरोध समीर सहित अन्य किसानों ने भी किया.
आसाराम का अवैध कब्जा हटाने के लिए किसानों ने पुलिस की मदद ली थी, लेकिन उस वक्त भी आसाराम के अनुयायी गुंडे पुलिस और पब्लिक पर भारी पड़े थे. समीर भाई ने 1993 में इस मामले को लेकर आसाराम के खिलाफ कोर्ट में शिकायत की थी.
समीर भाई व्यास के मुताबिक, '1990 में अवैध कब्जा किया था बाद में 94 में गुजरात सरकार ने उनको दे दी थी, इसी बीच 92 में मैंने हाईकोर्ट में केस किया था कि यह जमीन मेरी है, हमें वापस मिलनी चाहिए 95 में ही हाईकोर्ट ने जजमेंट दिया था कि यह जमीन मूल मालिकों को मिलनी चाहिए. इसके खिलाफ वो सुप्रीम में गए थे तभी सुप्रीम ने हर महीने 75 हजार भरने के लिए आसाराम को कहा था. मैं पिछले 20 सालों से आसाराम के खिलाफ केस लड़ रहा हूं. सरकार से कहना चाहूंगा की मेरी जमीन वापस मिलनी चाहिए करीब 30 हजार 400 मीटर जगह है. जिसकी कीमत 40 से 50 लाख है. मेरे आलावा 8 किसान और हैं, जिनकी जमीन पर आसाराम का कब्जा है.'
इसी विवाद पर आसाराम ने 2010 में पहली बार अपना पक्ष रखा था. सूरत में होली मनाने आए आसाराम ने अपने भक्तों से तब कहा था, भगवान राम और सीता पर आरोप लगे हैं, तो उनपर लगे आरोपों पर साधकों को घबराने की जरुरत नहीं है.
गुजरात में भी है आसाराम का आश्रम है 'विवादित'
एक समय पर गुजरात में कई जगहों पर गैर कानूनी तरीके से जमीन पर कब्ज़ा करके बड़े-बड़े आश्रम का निर्माण कराने वाले आसाराम के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंध खराब हो गए हैं. मोदी सरकार ने आसाराम के उन सभी आश्रमों को नोटिस देकर खाली करने का ऑर्डर दे दिया है, जिन्हें आसाराम ने सरकारी जमीन हड़पकर बनवाया था. सरकार के इस आदेश के चलते मिनी हरिद्वार कहा जाना वाले जूनागढ़ में भी प्रशासन ने आश्रम को गैर कानूनी करार देकर कई सौ एकड़ सरकारी जमीन खाली कराने की शुरुआत कर दी है.
इंदौर में भी है आसाराम का अवैध आश्रम
देश भर में आसाराम के आश्रम पहले से ही विवादों मे घिरे हुए थे. अब इन अवैध आश्रमों की सूची में इंदौर का आश्रम भी जुड़ गया है. इंदौर के आर.टी.आई एक्टिविस्ट ने इस आश्रम पर भी विवादित होने का आरोप लगाया है. आश्रम के साथ-साथ आश्रम के पास बना आसाराम गुरुकुल भी अवैध है. जहां बच्चों के चरित्र निर्माण की शिक्षा दी जाती हैं. इस मामले में आज जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं.
आरटीआई एक्टिविस्ट राजेंद्र के गुप्ता के मुताबिक, 'बापू ठगी करते हैं, धोखेबाज हैं. ढोंगी जैसे लांछन लगाने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आसाराम पर मेहरबानी की थी. 1998 में करोड़ों जो अभी अरबों में है, दिग्गी ने मात्र एक रुपए सालाना लीज पर दे दी और आसाराम ने एक रुपये सालाना भी नहीं चुकाया.'