जहां चुल्लूभर पानी नहीं है, वहां आसाराम होली पर जमकर पानी बहा रहे हैं. इसपर शर्मिंदगी तो छोड़िए, तुर्रा दिखा रहे हैं. पानी बहाने पर सवाल हुआ तो बोले, ये किसी के बाप का पानी नहीं है.
गुजरात में अपने भक्तों के साथ होली मनाते हुए आसाराम ने वह कह दिया जो हम लिख भी नहीं सकते. जो हम लिख सकते हैं, जरा उसे तो पढि़ए. आसाराम मीडिया को कहते हैं, कुत्ते भौंक रहे हैं. यहीं वह चुप नहीं रहते कहते हैं हम किसी सरकार के बाप का पानी नहीं लेते.
अब ये आप तय कीजिए कि भक्ति के नाम से आसाराम के श्रीमुख से निकली इस भाषा में प्रीत है या पाखंड. 40 साल के सबसे भयानक सूखे से संघर्ष कर रहे महाराष्ट्र की सरकार ने धर्म के इस ध्वजाधारी से सिर्फ इतना कहा था कि महाराज लोग प्यास से मर रहे हैं आप होली के नाम पर पानी ऐसे मत बहाइए. लेकिन इस अपील पर आसाराम का पारा चढ़ गया. तापी नदी के किनारे आसाराम का ये प्रदर्शन में कई बार हुई आध्यात्म की उदारता की हत्या.
अपने को बापू कहते हुए आसाराम कहते हैं कि बापू मूंग दल रहे हैं और कुत्ते भौंक रहे हैं. छोड़ दीजिए महाराष्ट्र को. गुजरात के भी 9 जिले सूखाग्रस्त हैं. जहां चुल्लूभर पानी के लिए चिंतित हों लोग वहां आसाराम अनर्थ के दागी देवता बने हुए थे.
हजारों की भीड़ भक्ति के नाम पर सुनती रही मानव सभ्यता के साथ आसाराम के आतंक की भाषा. पानी की इस रंगीन बौछार में मरता जा रहा था आंखों का पानी.
आसाराम कहते हैं कि भगवान हमारे साथ है मैं तो दिल खोल के रंग छांटूंगा. और अब आसाराम की वो बात जो एक-एक घूंट पानी के लिए घड़े की तली तक झांकने वालों के लिए एक घटिया और फूहड़ मज़ाक है.
आस्था के नाम पर आसाराम ने सरेआम ईश्वरीय आपदा की खिल्ली उड़ाई थी. ख़ुद को भगवान से ऊपर मान लेने के हास्यासपद घमंड ने उनसे आदमी की नज़र ही छीन ली है.
भगवान को यार कहकर आसाराम ऐसे बात करते हैं जैसे ऊपरवाला उनका लंगोटिया हो. वो कहते हैं हम तो यार का पानी बरसवाते हैं यहीं नहीं वह आगे कहते हैं जहां भी सूखा पड़ा होता है हम पानी बरसा देते हैं.
अभिमान ने आसाराम को अंधा बना दिया है. वर्ना उन्हें पता होता कि बारिश कराने की शक्ति का दावा चार सौ बीसी के सिवा कुछ नहीं है. नहीं तो आसाराम को साधकों के साथ होली खेलने के लिए नगर निगमों के टैंकर के लिए तरसना न पड़ता.