कहते हैं समय बदलते देर नहीं लगती. आसाराम बापू का समय भी बदल गया है. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार क्या किया, उनके बोल ही बदल गए. कल तक हंसकर जेल को बैकुंठ बताने वाले आसाराम के लिए अब वही जगह अपवित्र हो गई है. अब वे जेल नहीं जाना चाहते.
शनिवार रात साढ़े 12 बजे आसाराम को उनके इंदौर आश्रम से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद से ही उन्हें यह भी आभास हो गया कि अब जेल कोठरी बहुत दूर नहीं है. इतने दिनों तक पुलिस से लुका छिपी शायद इसलिए ही रही होगी कि कानून के सभी दांव-पेंच जान-समझ लिए जाएं.
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आपको याद होगा, कुछ दिन पहले (जब तक उन्हें लगता था कि उनके समर्थकों के चलते पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाएगी) आसाराम ने कहा था, 'अगर वे मुझे जेल में भी डाल देते हैं, तो हंसते हुए जेल जाने को तैयार हूं. मैं तिहाड़ जेल में कुछ समय बिताना चाहता हूं. मैं समझता हूं कि जेल मेरा बैकुंठ है.' तब आसाराम ने अपने अनुयायियों से शांति बनाए रखने की अपील भी की थी.
लेकिन समय को अभी बदलना था. समय बदला. शनिवार को पुलिस ने इंदौर में आसाराम का आश्रम घेर लिया. उनके भक्तों को उनसे दूर रखने में पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी और आसाराम को अरेस्ट कर लिया.
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समय ऐसा बदला कि बापू को 'जेल रूपी बैकुंठ' का डर सताने लगा. रविवार को उन्होंने अदालत से कहा कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि वहां आपराधिक प्रवृति के लोग रहते हैं. आसाराम ने कहा, 'जेल में अपराध प्रवृत्ति के लोग रहते हैं. वहां जाने से मैं अपवित्र हो जाऊंगा.' बापू का बैकुंठ धाम अब अपवित्र हो गया है. आसाराम ने यह भी दलील दी कि जेल में आसन नहीं हो सकते हैं.
जब उन्हें इंदौर से दिल्ली लाया गया तो वे अपनी सीट पर बैठे-बैठे माला फेर रहे थे. शायद यही कामना कर रहे होंगे कि 'बैकुंठ' ना जाना पड़े.
गौरतलब है कि आसाराम के खिलाफ एक नाबालिग लड़की के माता-पिता ने दिल्ली के कमला मार्केट थाना में 20 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई थी कि जब वे लोग जोधपुर के आश्रम में गए थे तो आसाराम ने लड़की से यौन हिंसा की.