बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में गुरुवार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया. इस फैसले के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोला और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा कि क्या वे मुस्लिमों को आरक्षण दिलवाएंगे? ओवैसी ने कहा कि अगर हाई कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि मुस्लिम पिछड़े हैं तो आपने (फडणवीस) आरक्षण दोबारा लागू क्यों नहीं कराया? ओवैसी ने कहा कि वे चाहें तो कर सकते हैं लेकिन नहीं करेंगे क्योंकि ये लोग शाह बानो में दिलचस्पी रखते हैं.
let Muslim reservations slide while he moved from pillar to post for #MarathaReservation. If HC was clear that Muslims ARE backward, then why did they you not reintroduce reservations?
AdvertisementThey can still do it, but they won’t. All they’re interested in is Shah Bano
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 27, 2019
इससे पहले एक और ट्वीट में मराठा आरक्षण के बारे में ओवैसी ने कहा कि 'हमें याद रखना चाहिए कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुख्ता सबूतों के आधार पर इसे पहले ही ठुकरा दिया था, जबकि उसी वक्त मुस्लिम पिछड़ी जाति के लिए शिक्षा में आरक्षण को मान लिया था ताकि इस समुदाय को मुख्यधारा में लाया जा सके.'
On #MarathaReservation we should always remember that the Bombay High Court had previously struck them down for lack of empirical evidence; however, at the same time it’s upheld reservation in education for Muslim backward castes in order to bring the community in the mainstream
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 27, 2019
गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रस्तावित 16 प्रतिशत मराठा आरक्षण को घटाकर शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और नौकरियों के लिए 13 प्रतिशत करते हुए यह पाया कि अधिक कोटा 'उचित नहीं' था. गुरुवार का फैसला राज्य सरकार के नवंबर 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया, जिसमें एसईबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और यह संकेत दिया कि नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य है. हालांकि, उनके मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य अदालत से 16 प्रतिशत कोटा पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेगा. याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील विजयलक्ष्मी खोपड़े ने कहा कि अदालत ने नौ सदस्यीय एम. जी. गायकवाड़ आयोग की रिपोर्ट का भी समर्थन किया, जिसमें मराठों को 'सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग' के रूप में वर्गीकृत करने की बात कही गई थी.