उन्नाव के डौंडिया खेड़ा गांव में सोना मिलने की सारी उम्मीदें हवा हो गई हैं. 12 दिन की खुदाई के बाद सोने का तिनका भी हाथ नहीं लगा है, लिहाजा पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने खुदाई बंद करने का फैसला किया है.
सोने की खुदाई को लेकर पहले तेजी दिखाने वाली सरकार ने भी सोना मिलने को लेकर पलटी मार ली थी. संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने बीते गुरुवार को कहा था कि डौंडिया खेड़ा में पुरातत्व विभाग सोना नहीं, 1857 में इस्तेमाल हुए पुराने हथियार खोज रहा है.
पुरातत्व विभाग तो शुरू से ही खुदाई की वजह को लेकर 'सेफ गेम' खेलता रहा. पुरातत्व विभाग के अधिकारी जुमलों का प्रयोग करते हुए कैमरे पर कहते रहे कि उन्हें कोई पुरानी चीज भी हाथ लगेगी तो वह भी उनके लिए सोने के बराबर होगी.
गौरतलब है कि साधु शोभन सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने डौंडिया खेड़ा स्थित राजा राव रामबख्श के किले के पास 1000 टन सोना होने का सपना देखा है. मामला स्थानीय प्रशासन से होते हुए केंद्र तक पहुंचा था.
केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आनन-फानन में चिट्ठी लिख मारी थी. इसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम छेनी-कुदाल लेकर डौंडिया खेड़ा पहुंच गई थी. दूर-दराज के लोग डौंडिया खेड़ा में तमाशा देखने जमा हो गए थे और खाने-पीने की अस्थायी दुकानों से मेले जैसा माहौल बन गया था.
अब जबकि खुदाई में एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है, तो इंतजार है साधु शोभन सरकार के शिष्य और प्रवक्ता स्वामी ओम की प्रतिक्रिया का, जिन्होंने कहा था कि सोना न मिलने की स्थिति में वह सिर कटवाने को भी तैयार होंगे.
एक जवाब केंद्र सरकार को भी देना होगा क्योंकि अब उस पर अंधविश्वास के आरोप और तेज होंगे. चूंकि नरेंद्र मोदी पहले ही खुदाई पर सवाल उठा चुके हैं, तो हो सकता है कि खजाने के बहाने बीजेपी सुनियोजित रूप से कांग्रेस को निशाने पर ले.
बहरहाल डौंडिया खेड़ा का चैप्टर हमेशा के लिए क्लोज हो गया है. 1857 के हथियार भी नहीं मिले हैं. रह गई है तो बस एक कहानी, जो आप अगली पीढ़ी को मजे लेते हुए सुना सकेंगे.
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