खराब मौसम की वजह से आज ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई की टीम केदारनाथ नहीं जाएगी. ये टीम मंदिर को हुए नुकसान पर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को रिपोर्ट सौंपेगी. उत्तराखंड सरकार ने मंदिर को दोबारा दुरुस्त करने के लिए एएसआई से मदद मांगी थी. हालांकि, केदारनाथ मंदिर एएसआई के दायरे में नहीं आती है.
फिर उफान पर है भागीरथी
इस बीच उत्तराखंड में पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश के चलते भागीरथी नदी का पानी फिर से उफान पर है. नदी के किनारे बने घरों और मंदिरों में पानी घुसने लगा है. शनिवार को पानी खतरे के निशान से नीचे आया था, लेकिन आज फिर से पानी चढ़ रहा है. इससे नदी किनारे रहने वालों में दहशत है.
केदारनाथ में कब शुरू होगी पूजा?
केदारनाथ मंदिर में आज से साफ-सफाई और पूजा का काम शुरू हो जाएगा. मंदिर समिति के बीस लोग आज पैदल रास्ते से मंदिर के लिए रवाना हो रहे हैं. सफाई के बाद ये टीम पूजा की तैयारियों में जुटेगी. इस टीम को शनिवार को ही मंदिर पहुंचना था लेकिन खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका. अब तक केदारनाथ मंदिर पर पहुंचे बचाव कर्मियों ने बताया है कि मंदिर के आसपास के इलाकों में अब भी कई शव पड़े हो सकते हैं.
वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड की आपदा में मरने वालों की तादाद 10 हजार से ज्यादा हो सकती है. उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि साढ़े चार हजार से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं. गढ़वाल के दौरे से लौटने के बाद कुंजवाल ने दावा किया है कि वो पहले ही कह रहे हैं कि मौत का आंकड़ा 5 से दस हजार के बीच हो सकता है. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं लापता लोगों के लौटने की उम्मीद धूमिल हो रही है.
14 किलोमीटर लंबा हाईवे बहा
उत्तराखंड में गुप्तकाशी से फाटा के बीच 14 किलोमीटर लंबा हाईवे बह गया है. शुक्रवार रात भारी बारिश के बाद जमीन खिसकने की वजह से हाईवे बुरी तरह नष्ट हो गया है. गौरीकुंड जाने वाला ये रास्ता अब सिर्फ सोनप्रयाग तक बचा है.
उमा भारती का दीप दान
बीजेपी नेता उमा भारती ने उत्तराखंड में कुदरत की तबाही में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए हरिद्वार में दीप दान किया. इस मौके पर उमा ने सरकार पर आरोप लगाया कि अगर वक्त से पहले सरकार सचेत रहती तो इतनी बड़ी तबाही नहीं होती.
मौत के जबड़े से लौटे श्रद्धालु
बदरीनाथ से श्रद्धालुओं के सुरक्षित घर पहुंचने का सिलसिला जारी है. ऐसे ही श्रद्धालुओं का एक जत्था शनिवार को पुणे पहुंच गया तो एयरपोर्ट पर भावनाओं का समंदर उमड़ पड़ा. श्रद्धालुओं का आरोप है कि उन्हें ये जत्था बादल फटने से आई तबाही में ये लोग बदरीनाथ में फंस गए थे. उन पलों को याद कर ये लोग अब भी सिहर जाते हैं.