एशियाई शेरों की गिनती का पहला राउंड मंगलवार को पूरा हो गया. इस गणना के आंकड़ों के मुताबिक, अब शेरों की संख्या करीब 500 है. बीते पांच सालों में इनकी आबादी में 15 से 22 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
गणना में शामिल रहे लोगों का कहना है कि शेरों की संख्या में हुआ यह इजाफा काफी बेहतर है. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि 0 से 3 साल के शावकों की संख्या लगातार बढ़ी है. हालांकि गिर सेंचुरी में इनकी संख्या नहीं बढ़ी.
अधिकारियों के मुताबिक, 'सेंचुरी में क्षमता से ज्यादा शेरों का होना भी इसके पीछे बड़ी वजह है. एक स्टडी के अनुसार किसी भी नेशनल पार्क या सेंचुरी में 250 शेर और शावक होने चाहिए, लेकिन जूनागढ़ और सासन गिर सेंचुरी में करीब 290 शेर और शावक रखे गए हैं.'
नर और मादा के रेशियों में भी बड़ा फर्क
गणना में शामिल सूत्रों ने बताया कि अमरेली, भावनगर और तटीय इलाकों में शेर ज्यादा देखे गए हैं और यही वजह है कि इन इलाकों में उनकी संख्या बढ़ सकती है . 2010 की गणना में इन इलाकों में शेरों की संख्या सिर्फ 114 थी. उम्मीद की जा रही है कि अब यह संख्या 150 से ज्यादा होगी.
पिछली गणना के आंकड़ों के मुताबिक, नर और मादा के रेशियो में काफी फर्क था. 97 नर के मुकाबले 162 मादा थीं. इस साल इसमें सुधार की उम्मीद है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब यह आंकड़ा 280-290 का होगा.