असम में मंगलवार को हुए बोडो उग्रवादियों के हमले के बाद हालात अस्थिर हो गए हैं. हमले का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस की फायरिंग में 5 लोगों की मौत हो गई है. खबरों के मुताबिक, अपने परिजनों की हत्या से आदिवासी हिंसक हो चुके हैं और पुलिस हालात संभालने में जुटी है. इस बीच सोनितपुर और कोकराझार जिले में मंगलवार को हुए हमलों में मृतकों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है. पुलिस ने हमले के लिए प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी (एस) को जिम्मेदार ठहराया है.
खबरों के मुताबिक, हमलों से गुस्साए आदिवासियों ने बोडो परिवार के घरों पर फायरिंग की और हिंसक प्रदर्शन किए. मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बताया कि बीती शाम को हुए 'बर्बर' हमलों में ज्यादातर मृतक महिलाएं और बच्चे थे और इसके बाद सरकार ने हालात पर काबू करने के लिए कदम उठाए. वहीं असम सरकार की मांग पर केंद्र ने भी अर्धसैनिक बलों के 5000 जवानों को तुरंत असम रवाना करने का फैसला किया है.
बुधवार को असम के दौरे पर जा रहे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने उन्हें स्थिति की जानकारी दी है और केंद्र हर जरूरी कार्रवाई करेगा. गृह राज्मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'यह हमला ऐसी समय किया गया जबकि इसकी उम्मीद भी नहीं थी. जिन जगहों पर हमला किया गया, वह जगह बेहद सुदूर और ग्रामीण इलाकों में हैं.' आईजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) एसएन सिंह ने बताया कि मौत का आंकड़ा 62 पहुंच गया है. इनमें 37 मौतें सोनितपुर और 25 कोकराझार में हुईं. गौरतलब है कि मंगलवार शाम उग्रवादियों ने असम के कोकराझार और सोनितपुर जिले में चार सुदूर जगहों पर लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं. ये हमले मंगलवार शाम सात बजे के करीब एक घंटे के अंतराल में अंजाम दिए गए.
गांवों के इन अंदरूनी इलाकों में सड़कें भी ठीक से नहीं बनी हैं, फिर भी सर्च ऑपरेशन जारी है. घटना के बाद गुस्साए आदिवासियों ने सोनितपुर के फुलोगुड़ी इलाके में कथित रूप से बोडो समुदाय के पांच घरों को आग के हवाले कर दिया. चाय के बागानों में काम करने वाले हजारों आदिवासियों ने धनुष-बाण लेकर प्रदर्शन किए और सात किलोमीटर लंबे नेशनल हाईवे-15 को जाम कर दिया. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने हमला पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
- इनपुट PTI