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11 साल में 3 सांसद-13 विधायक, ऐसा है बदरूद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF का सियासी सफर

बदरुद्दीन अजमल का जन्म 12 फरवरी 1950 को मुंबई में हुआ था, लेकिन मूलत: वो असम के रहने वाले हैं. उन्होंने दारुल उलूम देवबंद से फाजिल (इस्लामिक धर्मशास्त्र और अरबी में मास्टर डिग्री के बराबर) की पढ़ाई की.

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AIUDF के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल
AIUDF के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल

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सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ, उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF)  बढ़ी है. सेना प्रमुख के इस बयान से चर्चा में आए मौलाना बदरुद्दीन अजमल असम की सियासत के बड़े खिलाड़ी हैं. जिन्होंने मदरसा देवबंद से पढ़ाई की और कारोबार से लेकर सूबे की सियासत में अपनी मजबूत जगह बनाई.

बदरुद्दीन अजमल का जन्म 12 फरवरी 1950 को मुंबई में हुआ था, लेकिन मूलत: वो असम के रहने वाले हैं. उन्होंने दारुल उलूम देवबंद से फाजिल (इस्लामिक धर्मशास्त्र और अरबी में मास्टर डिग्री के बराबर) की पढ़ाई की.

असम में मुस्लिम आबादी 34 फीसदी

असम में मौलाना बदरूद्दीन अजमल की सियासी अहमियत के जबरदस्त उभार के पीछे उनकी अपनी सियासी सूझबूझ के अलावा राज्य के हालात का भी अच्छा-खासा योगदान है. असम भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां करीब 34 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. इस आबादी में असमिया मुसलमान और बांग्लादेश से आकर असम में बसे मुसलमान दोनों शामिल हैं.

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किंग मेकर बनने के लिए बनाई पार्टी

मौलाना बदरुद्दीन अजमल देवबंद में पढ़ाई पूरी करने के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के साथ जुड़ गए. जमीयत के साथ रहते हुए उन्होंने राजनीतिक रसूख का महत्व समझा. इसी के बाद राज्य में किंग मेकर बनने का ख्वाब लेकर उन्होंने 2005 में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पार्टी बनाई. मुसलमानों को रिझाने के लिए उन्होंने अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल किया. इसी का नतीजा रहा कि पार्टी के गठन के एक साल के बाद 2006 में असम विधानसभा चुनाव हुए तो उन्हें 10 सीटों पर जीत मिली. जबकि पार्टी ने 73 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 34 गैर-मुसलमान थे.

AIUDF का सियासी सफर

असम के 2006 के चुनाव के बाद बदरुद्दीन अजमल ने पलटकर नहीं देखा और प्रदेश की सियासत में बढ़ते गए. तीन साल के बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में खुद चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2011 के असम विधानसभा चुनाव में AIUDF के 18 विधायक जीतने में कामयाब रहे. इसी के साथ पार्टी असम की सियासत में मुख्य विरोधी दल के तौर पर उभरकर आई. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की  11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से तीन पर जीत हासिल की. इन 11 उम्मीदवारों में छह गैर-मुसलमान उम्मीदवार थे. AIUDF के तीन सांसदों में से एक राधेश्याम बिस्वास हिंदू हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में अजमल की पार्टी AIUDF को 13 सीटें मिलीं.

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असम में मुस्लिम आबादी और विधानसभा सीट

गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक असम में मुसलमानों की आबादी में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है. 2001 में जहां यह 30.9 फीसदी थी, वहीं अब बढ़कर 34.2 फीसदी हो गई है, जबकि देश भर में मुसलमानों की आबादी में 13.4 फीसदी से 14.2 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है. असम में 35 फीसदी से ज्यादा मुस्लिमों वाली 2001 में 36 विधानसभा सीटें थीं, जो 2011 में बढ़कर 39 हो गई.

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