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नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के खिलाफ आज असम में बंद

राजीव गांधी सरकार के दौर में असम गण परिषद् से यह समझौता हुआ था कि 1971 के बाद असम में अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशियों को बाहर निकाला जाएगा. लेकिन नए बिल के तहत इस बेस ईयर को 2014 कर दिया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि असम गण परिषद् के साथ गठबंधन तोड़ने के बावजूद बीजेपी को फायदा होगा. क्योंकि असम में अल्पसंख्यकों की तादाद अच्छी खासी है. वहीं, बीजेपी की यहां की लोकसभा सीटों पर भी नजर है.

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नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016' के विरोध में आज असम बंद.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016' के विरोध में आज असम बंद.

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असम में 'नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016' के विरोध में आज सोमवार को ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) समेत 30 संगठनों ने बंद बुलाया है. जिसका असर राज्य के सभी हिस्सों में सुबह से नजर आ रहा है. कई इलाकों में लोगों ने अपनी दुकानें बंद रखी हैं. वहीं सड़कों पर विरोध प्रदर्शन होने के कारण जाम की स्थिति बन रही है. शहरों और गावों में विरोध प्रदर्शन करते हुए विधेयक की प्रतियां जलाईं गई हैं.

गौरतलब है कि यह विरोध 'नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016' को लेकर हो रहा है. जिसकी रिपोर्ट जॉइंट पार्लियामेंट्री  कमिटी ने संसद में पेश किया है और कहा जा रहा है कि आज यह बिल लोकसभा में पास भी हो सकता है

इस बारे में आसू के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि, 'इस दिन को हम 'काला दिवस' के रूप में मना रहे हैं. नागरिकता विधेयक से न सिर्फ असम के स्थानीय समुदायों के अस्तित्व पर खतरा हो गया है, बल्कि वे अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक बन गए हैं. बीजेपी राज्य के लोगों की भावनाओं को समझने में नाकाम रही है. विधेयक के खत्म होने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी.'

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असम गण परिषद् ने छोड़ा NDA का साथ...

मोदी कैबिनेट द्वारा नागरिकता संशोधन बिल के नए मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद नाराज होकर असम गण परिषद् ने असम की एनडीए सरकार से अलग होने का ऐलान कर दिया है.

राजीव गांधी सरकार के दौर में क्या हुआ था समझौता...

गौरतलब है कि राजीव गांधी सरकार के दौर में असम गण परिषद् से यह समझौता हुआ था कि 1971 के बाद असम में अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशियों को बाहर निकाला जाएगा. लेकिन नए बिल के तहत इस बेस ईयर को 2014 कर दिया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि असम गण परिषद् के साथ गठबंधन तोड़ने के बावजूद बीजेपी को फायदा होगा. क्योंकि असम में अल्पसंख्यकों की तादाद अच्छी खासी है. वहीं, बीजेपी की यहां की लोकसभा सीटों पर भी नजर है.

क्या स्थानीय लोगों के खिलाफ है ये बिल...

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि लोकसभा में यह विधेयक असम के स्थानीय लोगों के खिलाफ है. हम एड़ी-चोटी का जोर लगाकर इसका विरोध करेंगे. नेसो ने भी इस विधेयक के खिलाफ 23 जनवरी को गुवाहाटी में व्यापक प्रदर्शन का आह्वान किया है. वहीं, केएमएसएस नेता अखिल गोगोई का कहना है कि बीजेपी विधेयक के माध्यम से लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है. हमने इसके खिलाफ पहले ही आंदोलन शुरू कर दिया है.'

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क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016...

यदि आज लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 बिल पास हो जाता है तो इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौध, जैन, पारसी, क्रिश्चन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी.

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