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असम में बीजेपी से समर्थन खींच सकती है AGP, नागरिकता कानून पर बढ़ी तल्खी

एजीपी इस विधेयक का विरोध कर रही है. उसका कहना है कि विदेशी गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने से जनसांख्यिकी गड़बड़ हो सकती है.

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नागरिकता विधेयक का विरोध (रॉयटर्स)
नागरिकता विधेयक का विरोध (रॉयटर्स)

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असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (एजीपी, अगप) अपना समर्थन वापस लेने पर विचार कर रही है. सोमवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम संसद के पटल पर रख दी. इसके बाद एजीपी ने अपना विरोध तेज कर दिया है और बीजेपी के साथ अपने गठबंधन पर पुनर्विचार कर रही है.

इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. असम गण परिषद और उत्तर पूर्व के संगठन इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि यह अधिकार मिलने से असम जैसे राज्यों की जनसंख्यिकी में भारी बदलाव आ सकता है. यह विधेयक जेपीसी ने तैयार की है जिसे बहुमत सदस्यों का समर्थन हासिल है. हालांकि जेपीसी ने इसका विरोध किया था और कहा था कि धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करना संविधान के विरुद्ध है.

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यह रिपोर्ट तैयार करने से पहले पैनल के सदस्यों ने राजस्थान, असम और मेघालय का दौरा किया और लोगों की राय जानी. इस बारे में कई संगठनों और विशेषज्ञों से भी बात की गई. कमेटी ने असम, बिहार, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र और बंगाल के प्रमुख सचिव और पुलिस प्रमुखों से भी राय जानी. संसद में भी इस बिल का काफी विरोध देखा गया. कांग्रेस, टीएमसी, माकपा और समाजवादी पार्टी के सांसदों ने जेपीसी के नागरिकता विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई. बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिव सेना भी इसका मुखर विरोध रही है.

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