असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज तक से बात करते हुए बताया कि सरकार की ओर से राहत-बचाव कार्य की तमाम तैयारियां की जा रही हैं. साथ ही एनडीआरएफ की टीम भी बाढ़ से निपटने के लिए तैनात है.
सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री सोनोवाल मानते हैं कि असम में कोरोना वायरस और अब बाढ़ की स्थिति ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं.
मोमिना, बरपेटा गांव में रहती थी. अब अपने बच्चों के साथ तिरपाल से बने तंबू में सड़क किनारे रहने को मजबूर है. क्योंकि उसके गांव में पानी घर के भीतर तक घुस चुका है. मोमिना बताती हैं कि फिलहाल खाने के लिए कुछ नहीं है, जो घर में बचा था वही उठा कर लाए हैं. मोमिना के साथ कई छोटे-छोटे बच्चे हैं जो सड़क किनारे बने तिरपाल के नीचे आश्रय लेने को मजबूर हैं.
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बरपेटा के रहने वाले जैनल अपनी छोटी सी नाव में घर जा रहे हैं. नाव टूटी है, इसलिए पानी भर आता है. नाव भी चलानी है और बर्तन से नाव का पानी भी बाहर फेंकना है ताकि घर से मुख्य सड़क तक सही सलामत पहुंचा जा सके.
जैनल के गांव में स्थिति और भी भयावह है. सभी घर पानी में डूबे थे. हालांकि पिछले 24 घंटों में पानी का स्तर कुछ कम हुआ है. लेकिन बारिश इतनी ज्यादा हो रही है कि हालात फिर बिगड़ सकते हैं. कुछ शहरों में आपने हाउसबोट देखा होगा लेकिन यहां हर घर में बोट है, क्योंकि सड़कें जलमग्न हैं.
जैनल के घर के अंदर सब कुछ जलमग्न है. हालांकि कुछ घंटे के लिए बिजली आती है, बस वही राहत है. घर में पानी काफी ऊपर तक था जो अब कम हुआ है. फिर भी सबकुछ पानी में है. गैस सिलेंडर, बिस्तर, डब्बे, चूल्हा सबकुछ, कुर्सी और मेज पर चढ़ा दिया गया है. पूरा गांव पानी-पानी है.
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जैनल और उनके परिवार का कहना है कि वह फिलहाल बड़ी मुश्किल में हैं, क्योंकि खाने-पीने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. इलाके में पानी बढ़ने से उनकी मुसीबत बढ़ गई है. सबसे ज्यादा दिक्कत बीमारियों से बचने की है.
जैनल के गांव में जितने घर हैं, सब जलमग्न हैं. जिंदगी यहां थम गई है. ऊपर से बरसात कम होने का नाम नहीं ले रही. जाहिर है अगर बारिश ऐसे ही जारी रही तो नदी का पानी कम नहीं होगा और जलस्तर एक बार फिर बढ़ जाएगा.
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