असम इस समय जिस बाढ़ की तबाही का सामना कर रहा है, वैसी बाढ़ वहां के लोगों ने 29 वर्षों से नहीं देखी थी. 40 से ज्यादा लोगों की जान अभी तक जा चुकी है और 33 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. हालात इतने भयावह हैं कि पूर्वोतर को जाने वाली सभी ट्रेन 20 अगस्त तक के लिए रद्द की जा चुकी है. लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी से मचे इस हाहाकार के पीछे क्या चीन की चाल भी हो सकती है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि बाढ़ की इस तबाही पर काबू पाने के लिए चीन ने भारत के साथ समझौता होने के बावजूद अहम जानकारी मुहैया नहीं कराई.
चीन ने नहीं दी अहम जानकारी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार को इस बारे में खुलासा किया कि चीन ने इस साल अभी तक ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी के पानी के बारे में हाइड्रोलॉजिकल डाटा नहीं मुहैया कराया है. आमतौर पर मानसून की शुरूआत के बाद 15 मई के बाद से चीन भारत को इन दोनों नदियों में पानी के बारे में लगातार जानकारी देते रहता है, जिससे बाढ़ से निपटने की समय रहते तैयारी की जा सके. ब्रह्मपुत्र और सतलुज ये दोनों नदियां तिब्बत से निकलती हैं और वहां से बहती हुई भारत में आती हैं. चीन अगर भारत को हर साल की तरह इन दोनों नदियों में पानी के बारे में जानकारी मुहैया करा देता तो तबाही पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता था.
2006 में हुआ था समझौता
भारत और चीन के बीच 2006 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने मिलकर एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाया था जो इन नदियों में जलस्तर के बारे में जानकारी साझा करते थे. इस एक्सपर्ट ग्रुप की आखिरी बैठक पिछले साल अप्रैल में हुई थी. लेकिन इस साल चीन ने इन दोनों नदियों में पानी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
ये हो सकती है चीन की चाल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब ये पूछा गया कि क्या चीन के द्वारा जानकारी नहीं दिया जाने का संबंध डोकलाम में पिछले दो महीने से चल रही तनातनी है, तो उन्होंने कहा कि वो इन दोनों मामलों को आपस में नहीं जोड़ना चाहेंगे क्योंकि कई बार इसके पीछे तकनीकी कारण भी होते हैं. लेकिन डोकलाम को लेकर चीन जिस तरह से भारत को रोज धमकी दे रहा है, उसे देखते हुए इस आशंका से पूरी तरह से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये भारत को झुकाने के लिए चीन की चाल भी हो सकती है.