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काजीरंगा में बाढ़ की वजह से दुर्लभ राइनो की भी जान पर आफत

पूर्वोत्तर भारत में आई भयंकर बाढ़ ने न सिर्फ इंसानों का जीना दूभर किया है, बल्कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में पल रहे दुर्लभ प्रजाति के एक सींग वाले गैंडों की जिंदगी भी आफत में डाल दी है.

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काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ से गैंड़ों की जान पर आफत
काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ से गैंड़ों की जान पर आफत

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पूर्वोत्तर भारत में आई भयंकर बाढ़ ने न सिर्फ इंसानों का जीना दूभर किया है, बल्कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में पल रहे दुर्लभ प्रजाति के एक सींग वाले गैंडों की जिंदगी भी आफत में डाल दी है.

भारी बारिश के चलते ब्रह्मपुत्र नदी में आई बाढ़ से काजीरंगा नेशनल पार्क डूब चुका है. इस कारण यहां के ज्यादातर जानवर ऊंचे पहाड़ों की ओर चले गए हैं, लेकिन एक सींग वाले सैकड़ों दुलर्भ गैंडे अब भी यहीं फंसे हुए हैं. काजीरंगा के गैर पर्यटन क्षेत्र में बने हाइलैंड तटवर्ती इलाकों में ये राइनों अब भी अपने बच्चों के साथ झुंड में दिखाई दे रहे हैं.

इस बाढ़ की वजह से बड़े गैंड़ों से ज्यादा उनके बच्चों की जान खतरे में हैं. पहली बार इस आपदा की मार झेल रहे इस दुर्लभ प्रजाति को बचाने के लिए असम सरकार और काजीरंगा नेशनल पार्क की ओर से कोशिशें भी शुरू की गई है, जिसके तहत पार्क के अंदर डूब क्षेत्र में बने हाइलैंड तटवर्ती इलाकों में फॉरेस्ट विभाग इन राइनो और उनके बच्चों को घास परोस रहा है. इन हाइलैंड पर काजीरंगा फॉरेस्ट विभाग बच्चों को भूख से बचाने के लिए नावों के जरिये घास पहुंचा रहा है.

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बड़ी प्रजाति के राइनो अपनी जान बचाने के लिए दूसरे इलाकों में जा सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चे तैरने में सक्षम नहीं होने के चलते जान गंवा सकते हैं. काजीरंगा नेशनल पार्क के डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह के मुताबिक, इस बाढ में अब तक चार बेबी राइनो की डूबने से मौत हो चुकी है. ऐसे में भूख कहीं इन बेजुबानों की मौत का कारण न बन जाए, इसके लिए फॉरेस्ट विभाग हाइलैंड पर बच्चों के साथ फंसे राइनों को नाव के जरिये घास पहुंचा रहा है, ताकि इन राइनों को पानी में घुसकर खाने की तलाश में आगे जाना ना पड़े. सत्येंद्र सिंह ने आज तक से बातचीत में कहा कि अपने आप में पहली बार ये ऐसी कोशिश है, जिससे राइनो को खाना दिया जा सके और भूख से उनकी मौत ना हो.

बता दें कि पार्क के तटीय इलाकों से सटे कई गांव जलमग्न हो चुके हैं. इस वजह से यहां के ज्यादातर लोग घरों को छोड़कर ऊपरी इलाकों में जान बचाने के लिए जा चुके हैं. कभी चहल पहल से आबाद काजीरंगा अब सुनसान पड़ा है.

 

 

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