इस आपदा की घड़ी में आजतक ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. बच्चों को खाने के पैकेट और महिलाओं को सैनिटाइजर, मास्क और सैनिटरी नैपकिन दिए गए, क्योंकि ऐसे हालात में महिलाओं और बच्चों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़ ग्रस्त लोगों को सरकार की ओर से अनाज बांटे जा चुके हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों को ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.
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सैनेटरी जैसी सेवाएं फिलहाल महिलाओं की पहुंच से बाहर हैं. ऐसे में मदद के लिए शुरू की गई आजतक की पहल को महिलाओं ने बेहद सराहा. यहां लोगों ने बड़ी संख्या में पानी में डूबे घरों को छोड़कर जरूरत का सामान लेकर सड़कों पर आशियाना बना लिया है. स्थानीय निवासी राम नवल का कहना है कि सड़कों पर गाड़ियां तेज रफ्तार में आती है, जिससे बच्चों की जिंदगी को खतरा है. लोग बेहद मुश्किल में हैं, क्योंकि बाढ़ का पानी कम नहीं हो रहा है.
मोरीगांव में बाढ़ ने तोड़ा रिकॉर्ड
मोरीगांव जिले का बरखाल गांव पूरी तरह से जलमग्न है. घर के घर डूबे हुए हैं और लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. असम के दूसरे जिलों की तरह यहां भी आने-जाने का एकमात्र जरिया नाव ही है. अपने डूबे घर की ओर कदम बढ़ाते हुए विपुल कुमार ने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि कैसे इस बार बाढ़ ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए.
बाढ़ में लोगों ने सब कुछ खो दिया
विपुल का कहना है कि पानी कम तो हो रहा है, लेकिन इसे खाली होने में अभी भी एक महीने का समय लग जाएगा. इतने दिन में कई मुश्किलें पैदा हो जाएंगी. लोगों की शिकायत है कि सरकार की ओर से मिली मदद पर्याप्त नहीं है. आजतक की टीम गांव में उन घरों तक पहुंची, जो पानी में डूबे हैं. लोगों के पास जो कुछ संपत्ति थी, वह पानी में डूब चुकी है. महिलाएं और बच्चे अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं.
मदद के इंतजार में लोग
महिलाओं ने बताया कि फिलहाल उनके पास कुछ नहीं बचा है. हम सड़क तक भी नहीं जा सकते हैं, क्योंकि वहां सबके पास नाव नहीं है. सबको पानी के उतरने का इंतजार है और वह इंतजार बेहद लंबा है. कई लोगों के घरों में रखा हुआ सामान बर्बाद हो चुका है.
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ऊपरी असम के ज्यादातर इलाकों से पानी का स्तर घटने लगा है, लेकिन बाढ़ का प्रकोप ऐसा था कि पानी खाली होने में काफी समय लग जाएगा. असम के मोरीगांव जिले में लोग मदद के इंतजार में हैं. इस दौरान आजतक ने भी मदद की, लेकिन वो पर्याप्त नहीं थी.