असम सरकार ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के प्रेरणा स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय की 15 खंड मे जीवनी की 60 हजार पुस्तकें खरीदने पर 1.6 करोड़ खर्च किए हैं, विपक्षी कांग्रेस ने इसे सरकारी धन की बर्बादी बताया है.
विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया के लिखित सवाल के जवाब में संस्कृति मामलों के मंत्री केशव महंत ने कहा कि सरकार ने विभिन्न पुस्तकालयों, शैक्षणिक एवं अन्य संस्थानों के लिए यह पुस्तकें खरीदी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर लिखी 60 हजार पुस्तकों को खरीदा है. ये पुस्तकें 15 खंडों में हैं और प्रत्येक की चार हजार प्रतियां खरीदी गई हैं.
गौरतलब है कि असम सरकार के पुस्तक निदेशालय ने संस्कृति विभाग की सलाह पर 1.6 करोड़ रुपये खर्च कर ये पुस्तकें खरीदी हैं. पुस्तकों को नई दिल्ली स्थित प्रकाशक प्रभात प्रकाशन से खरीदा गया है.
मंत्री केशव महंत ने कहा कि सरकार के पास दीनदयाल उपाध्याय की तरह दूसरी हस्तियों की जीवनी खरीदने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह सरकारी धन की बर्बादी है क्योंकि सभी किताबें पुस्तकालयों में धूल फांकेंगी. कांग्रेस नेता प्रद्युत बारदोलोई ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि असम और पूर्वोत्तर के लोगों ने शायद ही दीनदयाल उपाध्याय का नाम सुना होगा. आरएसएस और भाजपा दीनदयाल की जो विचारधारा पूर्वोत्तर में प्रसारित कर रहे हैं वह क्षेत्र के लिए पूरी तरह अजनबी हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नीत सरकारों में हिदुत्ववादी मानसिकता के लोगों की अहम संस्थानों में नियुक्ति हो रही है.
गौरतलब है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर,1916 में हुआ. एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल के नाम पर मोदी सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया है जिसमें प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-आयुष्मान भारत भी उनकी जन्मदिवस के दिन से ही लागू की गई.