असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा है कि CAA के तहत धार्मिक उत्पीड़न का प्रमाण देना असंभव सा काम है.
धार्मिक उत्पीड़न साबित करना असंभव
हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि अगर भारत आकर एक व्यक्ति ये कहता है कि उसका बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है तो ये साबित करने के लिए उसे बांग्लादेश जाना पड़ेगा और वहां से पुलिस रिपोर्ट की कॉपी लानी पड़ेगी. लेकिन ऐसा कर पाना असंभव सा है. उन्होंने कहा, "यदि एक व्यक्ति कहता है कि उसका धार्मिक उत्पीड़न हुआ है तो उसे बांग्लादेश जाना पड़ेगा और पुलिस की रिपोर्ट लानी पड़ेगी, लेकिन बांग्लादेश का एक पुलिस स्टेशन ऐसे सबूत क्यों देगा."
असम में मंत्री हेमंत ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि इसलिए उन्होंने कहा था कि CAA के तहत धार्मिक उत्पीड़न की थ्योरी को साबित कर पाना संभव नहीं है.
Assam Min HB Sarma on his statement,'not possible to proof religious persecution':If a person has to prove it then he has to go to Bangladesh&collect a copy of police report. So,I said that it's not possible to proof concept of religious persecution #CitizenshipAmendmentAct(18.1) pic.twitter.com/Kpycq5VLOR
— ANI (@ANI) January 18, 2020
CAA के लिए शर्त नहीं धार्मिक उत्पीड़न
बता दें कि हेमंत बिस्व शर्मा ने पहले कहा था कि धार्मिक उत्पीड़न CAA के तहत नागरिकता पाने के लिए शर्त नहीं हो सकती है. इस दौरान उन्होंने पूछा था, "आखिर एक पीड़ित ये कैसे साबित करेगा कि वो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार है, या फिर वो ये कैसे सिद्ध करेगा कि वो धार्मिक उत्पीड़न के भय से अपने मूल देश को छोड़कर भारत में दाखिल हुआ है." हेमंत बिस्व शर्मा के इस बयान पर हुए विवाद के बाद उन्होंने शनिवार को इस बारे में सफाई दी और कहा कि उनके कहने का मतलब ये था कि किसी भी व्यक्ति के धार्मिक उत्पीड़न साबित करना बेहद मुश्किल सा काम है.
असम में CAA के खिलाफ लगातार प्रदर्शन जारी है. ऑल असम स्टूडेंट यूनियन इन विरोध प्रदर्शनों की अगुआई कर रहा है. असम के प्रदर्शनकारी इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहा है. नागरिकता संशोधन कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न झेलकर आए हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और क्रिश्चयन धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.