केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह असम के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं. वह रविवार को असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंचेंगे, जहां उन्हें नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करनी है. दो दिवसीय बैठक में काउंसिल के सदस्य पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री शिरकत करेंगे.
दो दिवसीय बैठक के दौरान गृह मंत्री शाह पूर्वोत्तर में चल रही विकास परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे. इसके अलावा वह नई योजनाओं पर विमर्श के साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी कर सकते हैं.
क्यों अहम है गृह मंत्री का पूर्वोत्तर दौरा?
गृह मंत्री शाह का यह पूर्वोत्तर दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची प्रकाशित किए जाने के बाद 19 लाख लोगों के नाम नदारद होने से उहापोह की स्थिति है.
असम में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ही सरकार है, लेकिन पार्टी के कई नेता अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. एनआरसी में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उनमें हिंदुओं की संख्या अधिक होने पर भाजपा का पावर हाउस माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी चिंता जता चुका है.
दूसरी तरफ चंद महीने पहले एनआरसी को लेकर ही चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश में भी हिंसक आंदोलन हुए थे. एनआरसी के कारण पूर्वोत्तर सुर्खियों में चल रहा है, ऐसे में गृह मंत्री शाह का यह दो दिवसीय दौरा बेहद अहम माना जा रहा है.
एनआरसी की अंतिम सूची लागू किए जाने के बाद शाह का यह पहला असम दौरा भी है. ऐसे में माना जा रहा है कि बैठक के दौरान एनआरसी का मुद्दा भी छाया रहेगा.
यह राज्य हैं एनईसी के सदस्य
नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल की स्थापना क्षेत्रीय जनाकांक्षा के अनुरूप पूर्वोत्तर के विकास के लिए योजनाओं का निर्माण करना है. आठ राज्य- असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम काउंसिल के सदस्य हैं.
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) की कमान संभाल रहे केंद्रीय मंत्री ही पूर्व में काउंसिल के अध्यक्ष होते थे और बैठकों की अध्यक्षता करते थे. बाद में काउंसिल की कमान गृह मंत्री को सौंप दी गई. केंद्रीय गृह मंत्री ही काउंसिल के पदेन अध्यक्ष हैं.