सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे से छूटे करीब 40 लाख लोगों की आपत्तियां स्वीकार करने का काम शुरू करने का बुधवार को आदेश दिया. जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर एफ नरिमन की पीठ ने कहा कि इस लिस्ट से बाहर रह गए लोगों की शिकायतें प्राप्त करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू होगी और यह अगले 60 दिन तक चलेगी.
पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि इस समय हमें जुलाई में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में शामिल करने के बारे में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की प्रक्रिया पर जोर देने की आवश्यकता है.'
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मसले के परिमाण को देखते हुए ही नागिरकों को दूसरा अवसर प्रदान किया जा रहा है. पीठ इस मामले में अब 23 अक्तूबर को आगे विचार करेगी.
कोर्ट ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नाम शामिल करने के लिए चुनिंदा दस्तावेजों की स्वीकार्यता और अस्वीकार्यता के संबंध में केन्द्र के रूख पर असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के समन्वयक प्रतीक हजेला से उनकी राय भी पूछी है.
बता दें कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला ड्राफ्ट बीते 31 दिसंबर को जारी हुआ था और तब 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इसके बाद जुलाई में एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट जारी किया गया, जिसमें 40 लाख लोग छूट गए हैं. इस पर राजनीतिक दलों में काफी विवाद भी हुआ है. जबकि केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी लगातार इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाए हुए है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह स्पष्ट कह चुके हैं कि किसी भी घुसपैठिए को नहीं रहने दिया जाएगा.