भारत में कामाख्या मंदिर को आलौकिक शक्तियों और तंत्र सिद्धि का प्रमुख स्थान माना जाता है. विश्व योग दिवस के दिन यहां के साधुओं ने भी योग किया.
माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम कहा जाता है. माता सती के प्रति भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 भाग किए थे.
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जिस-जिस जगह पर माता सती के शरीर के अंग गिरे, वे शक्तिपीठ कहलाए. कहा जाता है कि यहां पर माता सती का गुह्वा मतलब योनि भाग गिरा था, उसी से कामाख्या महापीठ की उत्पत्ति हुई.
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कामाख्या शक्तिपीठ गुवाहाटी (असम) के पश्चिम में 8 कि.मी. दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है. 22 जून से मंदिर में अंबूबाची पर्व शुरू हो रहा है. हर साल तीन दिनों के लिए यह मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है.
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Assam: Saints at Guwahati's Kamakhya temple perform Yoga #InternationalYogaDay2018 pic.twitter.com/Om0k4OK8Pa
— ANI (@ANI) June 21, 2018
माना जाता है कि मां कामाख्या इस बीच रजस्वला होती हैं. और उनके शरीर से रक्त निकलता है. इस दौरान शक्तिपीठ की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है. इसलिए देश के विभिन्न भागों से यहां तंत्रिक और साधक जुटते हैं. आस-पास की गुफाओं में रहकर वह साधना करते हैं.