झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन किया है. 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के रुझानों में बीजेपी करीब-करीब बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई है और यहां उसके सरकार बनाने का रास्ता साफ है. लेकिन 87 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार गठन पर पेच फंस गया है.
यहां 28 सीटों के साथ पीडीपी पहले नंबर पर है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के भी ठीक-ठाक प्रदर्शन ने समीकरण बदल दिए हैं. कांग्रेस को 12 जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीटों पर जीत मिली है. इसके चलते बीजेपी को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली् उसके 25 सीटें मिली हैं. सूत्र बता रहे हैं कि इसके बावजूद बीजेपी नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य के सहयोग से सरकार बनाने की तैयारी में है. जाहिर है कि ऐसा आसान नहीं होगा क्योंकि पीडीपी और कांग्रेस के विधायक भी मिलकर 40 हो रहे हैं और जो बहुमत से सिर्फ चार कम है.
Call has to be taken by PDP if they want to go with secular or communal forces: Ghulam N Azad on post-poll alliance pic.twitter.com/sZV9nN9TZX
— ANI (@ANI_news) December 23, 2014
वोट फीसदी में बीजेपी नंबर एक
हालांकि वोट फीसदी के लिहाज से बीजेपी दोनों प्रदेशों में नंबर एक पार्टी बनती दिख रही है. जम्मू कश्मीर में उसे 23 फीसदी वोट मिले हैं. हालांकि महबूबा मुफ्ती की पीडीपी उससे थोड़ा ही पीछे है. उसे 22.7 फीसदी वोट मिले हैं.
झारखंड में बीजेपी को 31.3 फीसदी वोट मिलते नजर आ रहे हैं. दूसरे नंबर पर जेएमएम है जिसे 20.4 फीसदी वोट मिल रहे हैं.
झारखंड की स्थिति: BJP की सत्ता
झारखंड में बीजेपी सरकार बनाती दिख रही है. यहां बीजेपी गठबंधन 40, हेमंत सोरेन की जेएमएम 19, कांग्रेस गठबंधन 7 और जेवीएम गठबंधन 7 सीटों पर आगे है. इसके अलावा 8 सीटों पर 'अन्य' आगे चल रहे हैं, जिनमें से कुछ जरूरत पड़ने पर बीजेपी के साथ आने से नहीं हिचकेंगे. घोषित नतीजों के मुताबिक, बीजेपी गठबंधन 14, जेएमएम 13 और कांंग्रेस और जेवीएम चार-चार सीटें जीत चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, झारखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के रघुवर दास, सरयू राय और सुदर्शन भगत का नाम सबसे आगे चल रहा है. इन तीनों में भी रघुवर दास रेस में आगे बताए जा रहे हैं.
मुख्यमंत्रियों के लिए कयामत का दिन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए यह कयामत का दिन रहा. भ्रष्टाचार के आरोपी मधु कोड़ा, निवर्तमान सीएम हेमंत सोरेन, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी अपनी-अपनी सीटों से चुनाव हार गए हैं. बीजेपी की सहयोगी आजसू से ताल्लुक रखने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो भी सिल्ली सीट से चुनाव हार गए हैं. हेमंत सोरेन दो सीटों से चुनाव लड़े थे. दुमका में वह चुनाव हार गए हैं, लेकिन बरहैट से इज्जत बचाने में कामयाब हो गए. सबसे बड़ा झटका जेवीएम प्रमुख बाबूलाल मरांडी को लगा जो अपनी दोनों सीटों से चुनाव हार गए.
#PollResults : Celebrations outside BJP office in Ranchi (Jharkhand) pic.twitter.com/QH2RLdMDR2
— ANI (@ANI_news) December 23, 2014
कश्मीर का हाल: PDP के बिना कैसे बनेगी सरकार?
जम्मू कश्मीर में निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सोनवार सीट से चुनाव हार गए हैं. यहां उन्हें पीडीपी के मोहम्मद अशरफ मीर ने हराया. हालांकि बीरवाह में वह 1000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए. अनंतनाग सीट से पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद चुनाव जीत गए. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज के बेटे सलमान सोज बारामूला से चुनाव हार गए हैं. लेकिन चुनाव से पहले दिल्ली आकर नरेंद्र मोदी से करीबी बढ़ाने वाले पूर्व अलगाववादी नेता सज्जाद लोन हंदवाड़ा सीट से चुनाव जीत गए हैं.
Celebrations at BJP HQ (Delhi) for J&K & Jharkhand #PollResults pic.twitter.com/7fuulA5FYx
— ANI (@ANI_news) December 23, 2014
सूबे में अब तक तीन पार्टियों की ही सत्ता रही है लेकिन इस बार वहां का राजनीतिक मूड अलग है. सूबे में बीजेपी का प्रदर्श अच्छा तो रहा है लेकिन वह अमित शाह के 'मिशन 44 प्लस' से काफी दूर है. रुझानों के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि बीजेपी दोनों प्रदेशों में सरकार बनाएगी. लेकिन जम्मू-कश्मीर के हालात देखते हुए बीजेपी की राह मुश्किल नजर आ रही है. ज्यादा संभावना यही है कि पीडीपी अपनी 'धर्मनिरपेक्ष' छवि को बनाए रखते हुए कांग्रेस से हाथ मिला सकती है. वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों के लिए दरवाजे खुले होने की बात कहकर समीकरणों को और दिलचस्प बना दिया है.
एग्जिट पोल की भविष्यवाणी गलत?
सी-वोटर के चुनावी सर्वे ने जम्मू कश्मीर में बीजेपी को 27 से 33 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी, वहीं पीडीपी को सबसे ज्यादा 38 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था. लेकिन रुझानों के समीकरण इससे अलग हैं. अब नई दोस्ती को लेकर कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं. हालांकि उमर अब्दुल्ला अकेले चलने का एलान कर चुके हैं, लेकिन सियासत अनिश्चितताओं का खेल है. उधर, महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और कांग्रेस के साथ आने की अटकलें भी तेज हैं.
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर जब अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिये जाने की बात कही तो चर्चा होने लगी कि जम्मू कश्मीर में वह बीजेपी की सियासी सहयोगी होने वाली है, लेकिन उन्होंने फौरन कह दिया कि वो किसी भी दल को समर्थन नहीं देगे.
इधर, महबूबा मुफ्ती दिल्ली में जमी हुई हैं. पहले माना जा रहा था कि उनकी पार्टी कांग्रेस से मिलकर सरकार बनाने की कोशिश करेगी. लेकिन अब बताया जा रहा है कि पीडीपी बीजेपी के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक नजर आ रही है. हालांकि तस्वीर अभी धुंधली है.
झारखंड में पहली बार बीजेपी की सरकार?
इधर, एग्जिट पोल झारखंड में बीजेपी को 41 से 49 सीटें दे रहे थे, लेकिन रुझानों में बीजेपी इससे थोड़ा पीछे है. हालांकि इतनी भी पीछे नहीं कि उसे सरकार बनाने में मुश्किल हो. 13 साल में पहली बार झारखंड में बीजेपी बहुमत से सरकार बना लेगी, ऐसा अब तक के रुझानों से लग रहा है. झारखंड में 2005 और 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का गठन हुआ था. यहां पिछले 14 साल में 9 सरकारें बनीं हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद सूबे के हाथ से निकलने का सिलसिला जारी है. सबसे पहले महाराष्ट्र और हरियाणा से कांग्रेस का सफाया हो गया. बीजेपी इन दोनों ही सूबों में सत्ता चला रही है. अब झारखंड भी बीजेपी के कब्जे में आता दिख रहा है.
सूबा बनने के बाद ये पहला मौका होगा जब बीजेपी अपने बूते वहां सरकार बना सकेगी. पिछली कई सरकारों की लूटखसोट और अस्थिरता ने लोगों को नरेन्द्र मोदी की ओर देखने को मजबूर कर दिया है. जिन्होंने ये नारा दिया कि आपकी तिजोरी खोलने का अधिकार सिर्फ आपके पास होगा.
ये चुनावी सर्वे कह रहे हैं कि आने वाले दिनों मोदी की अगुवाई में बीजेपी का साम्राज्य और बड़ा होगा. यहीं से पूरे विपक्ष के लिए बड़ी दिक्कत शुरू हो रही है. क्योंकि अगले साल बिहार में भी चुनाव होने हैं. नरेंद्र मोदी के मिशन का वो एक बहुत ही अहम पड़ाव है जिसे हासिल करने के लिए वो पूरा जोर लगा देंगे.