1996 के चुनाव परिणामों के बाद 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. लेकिन एक मत के चलते बीजेपी बहुमत साबित नहीं कर पाई, परिणाम स्वरूप समय से पहले ही बीजेपी के पहले प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा और सरकार 13 दिन बाद गिर गई थी.
क्या बोले थे वाजपेयी?
उन्होंने लोकसभा में कहा था कि सदन में एक व्यक्ति की पार्टी है, वो हमारे खिलाफ जमघट करके हराने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें पूरा अधिकार है लेकिन वो 'एकला चलो रे' के रास्ते पर चल रहे हैं. ये देश के भलाई के लिए एक हो रहे हैं तो स्वागत है.
'राज्य में लड़ते हैं, दिल्ली में एक हो जाते हैं'
उन्होंने आगे कहा कि एक-एक सीटों वाली पार्टियां कुकुरमुत्ते की तरह उग आती हैं. राज्यों में आपस में लड़ती हैं. दिल्ली में आकर एक हो जाती हैं. हम देश की सेवा के कार्य में जुटे रहेंगे. उन्होंने कहा, 'हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथों में लिया है, उसे पूरा किए बिना विश्राम नहीं करेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देने जा रहा हूं.'
जब संख्याबल के आगे झुक गए थे अटल, 1996 का वो ऐतिहासिक भाषण
इजाजत लेने के लिए कांग्रेस के पास जाना होगा
वाजपेयी ने अपने शब्दों से प्रहार करते हुए कहा था, 'ये सरकार टिकाऊ होगी, उसके लक्षण कम ही दिखते हैं. पहले तो उसका जन्म लेना कठिन है, फिर उसका जीवित रहना कठिन है और ये सरकार अंतर्विरोध में घिरी हुई है, ये देश का कितना लाभ कर सकेगी, ये एक बड़ा सवाल है. ऐसे में तब आपको हर बात के लिए कांग्रेस के पास दौड़ना पड़ेगा और आप उनपर निर्भर हो जाएंगे. हम फ्लोर पर कोर्डिनेशन करते हैं उसके बिना सदन नहीं चलता. आप सारा देश चलाना चाहते हैं, अच्छी बात है हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.'
आज ही विपक्ष की इफ्तार पार्टी
खास बात ये है कि आज (बुधवार) को नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने इफ्तार पार्टी रखी है. इस पार्टी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को न्योता दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन बनाने में जुटा विपक्ष अपनी ताकत दिखाना चाहता है. इससे पहले कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस सरकार के शपतग्रहण समारोह में भी विपक्ष ने एकजुटता दिखाई थी.