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परमाणु परीक्षण के बाद प्रतिबंधों और आलोचनाओं का अटल ने ऐसे दिया था जवाब

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) दुनिया को अलविदा कह गए. पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया के सामने भारत की ऐसी मजबूत तस्वीर रखी, लेकिन विपक्ष ने सवाल खड़े किए तो अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगाया. इसके बाद सदन में वाजपेयी ने अपनी बात रखी.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)

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आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) हमारे बीच नहीं हैं. जब उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया में सशक्त भारत की तस्वीर पेश की. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाए तो अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि अपने आत्मसम्मान के लिए हमने फैसला लिया और किसी के आगे झुकेंगे नहीं.

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बता दें कि परमाणु परीक्षण के फैसले को लेकर देश में भी विपक्षी दलों ने उनपर निशाना साधा था. अटल बिहारी वाजपेयी जब पोखरण परीक्षण पर संसद में जवाब देने उतरे तो उन्होंने जहां विपक्ष को निरुत्तर कर दिया वहीं दुनिया को ये साफ संदेश दिया कि ये भारत बदला हुआ भारत है, दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है. किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.

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अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में कहा था, ये आश्चर्य की बात है कि परमाणु परिक्षण पर सवाल पूछा गया कि देश के सामने कौन सा खतरा था. 1974 में मैं सदन था जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परिक्षण किया गया था. हम प्रतिपक्ष में उसके बाद भी हमने स्वागत किया था, क्योंकि देश की रक्षा के लिए परमाणु परिक्षण किया गया था.'

उन्होंने कहा कि उस समय कौन सा खतरा था. आत्मरक्षा की तैयारी क्या तभी होगी जब खतरा होगा. तैयारी पहले से होनी चाहिए ताकि जो खतरा आने वाला होगा वो भी दूर हो जाएगा. खतरा अमल में नहीं आएगा इसीलिए हमने परमाणु परिक्षण करने का काम किया. ये कोई छुपी और रहस्य की बात नहीं है.

वाजपेयी ने कहा, 'परमाणु परीक्षण के बारे में चंद्रशेखर जी ने कुछ विचार रखे हैं, भेद के साथ मैं उनकी बातों से सहमत नहीं हो सकता हूं. उनके चिंतन की एक विशिष्ट धारा है. 50 साल का हमारा अनुभव क्या बताता है रक्षा के मामले में हमें आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए? हमारा एक नहीं अनेक पड़ोसी हैं. इस समय यूरोप में क्या हो रहा है ये एक चेतावनी है.'

उन्होंने कहा कि पोखरण 2 आत्मश्लाघा और पुरुषार्थ के लिए नहीं था. हमारी नीति है, हम समझते हैं कि यही देश की नीति रही है कि मिनिमम डिटरेंट होना चाहिए. वो क्रेडिबल भी होना चाहिए. इसीलिए परमाणु परिक्षण किया गया. हमें मालूम था कि इसके लिए कठिनाइयां आएंगी. देश उन कठिनाइयों का सफलता पूर्वक सामना करेगा इसका भी हमें पूरा विश्वास था और ऐसा ही हुआ है.

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वाजपेयी ने कहा कि आर्थिक प्रतिबंध हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सका. रक्षा संबंधी फैसले करने से हमें विरत नहीं कर सका. लेकिन परीक्षण के साथ हमने ये भी ऐलान किया था कि परमाणु हथियार का प्रयोग करने में हम पहल और गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे. इतना ही नहीं हमने ये भी कहा था कि जिनके पास परमाणु शस्त्र नहीं है हम उनके खिलाफ भी उपयोग नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा कि हमने परीक्षण बंद करने का भी ऐलान किया. सच बात ये है कि हम पोखरण में एक और परमाणु परीक्षण कर सकते थे. लेकिन जब हमें लगा कि हमारा वैज्ञानिक तकाजा पूरा हो गया है तो हमने उस परीक्षण को छोड़ दिया है.

वाजपेयी ने कहा कि एटमी हथियार रक्षा के लिए भी हो सकता है. युद्ध टालने के लिए भी प्रयोग हुआ है. इतने वर्षों तक युरोप में शांति रही दो शिविरों में बटे हुए विश्व में युद्ध नहीं हुआ. इसके मूल में कहीं न कहीं बात थी कि शक्ति संतुलन है. इसीलिए एक दूसरे को छेड़ने से बाज आना चाहिए. डिटरेंट के पीछे यही परिकल्पना थी. इस पर सारा सदन विचार करे.

उन्होंने कहा कि आलोचना तो अग्नि-2 की भी हुई है. उस दिन बड़ा विचित्र दृष्टि हुआ, जब सबेरे अखबार में पढ़ा कि हमारे एक पुरानी मित्र ने हमारे ऊपर दोषारोपण किया है कि दबाव में आकर अग्नि-2 का परीक्षण रोक दिया गया है. जबकि उस समय परीक्षण हो चुका था. अग्नि शिखा अपने गंतव्य की ओर दौड़ रही थी. वाजपेयी ने कहा कि हम उस दिन परीक्षण नहीं करते तो उनका वक्तव्य भ्रम पैदा कर सकता था. विदेशों में भी भ्रांति उत्पन्न कर सकता था.

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वाजपेयी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय 13 महीने के अपने कार्यकाल में हमने कभी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर कोई फैसला नहीं किया है और न ही आगे करेंगे.'

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