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अटल के पहले ही भाषण से मुरीद थे नेहरू, कहा था- ये लड़का बहुत आगे जाएगा

देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari vajpayee) का 93 साल की उम्र में निधन हो गया. वाजपेयी 1957 में संसद पहुंचे तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की. वाजपेयी 1996 में पहली बार पीएम बने.

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पंडित जवाहर लाल नेहरू और नरेंद्र मोदी
पंडित जवाहर लाल नेहरू और नरेंद्र मोदी

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari vajpayee) आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके भाषण का हर कोई कायल था. इतना ही नहीं देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी उनके भाषण सुनकर मुरीद हो गए थे. नेहरू ने तब ही कहा था कि एक दिन तुम देश के प्रधानमंत्री बनोगे. बाद में ये बात सच साबित हुई और वे देश के तीन बार प्रधानमंत्री बने.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्‍म 25 दिसंबर 1924 को हुआ, इस दिन को भारत में बड़ा दिन कहा जाता है. वे 1942 में राजनीति में उस समय आए, जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए. 1951 में आरएसएस के सहयोग से बनी भारतीय जनसंघ पार्टी के अटल बिहारी वाजपेयी संस्थापक सदस्य थे. इसके अध्यक्ष श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी थे.

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साल 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से लड़ा, पर सफलता नहीं मिली. पहली बार सफलता 1957 में उनके हाथ लगी. 1957 में जनसंघ ने अटल बिहारी वाजपेयी को तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत जब्त हो गई लेकिन बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.  

वाजपेयी के असाधारण व्‍यक्तित्‍व को देखकर उस समय के वर्तमान प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा.

नेहरू ने ये बात तब कही थी जब एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में ब्रिटिश नेता से अटल बिहारी वाजपेयी की मुलाकात करवाई. इस दौरान नेहरू ने अटल का परिचय देते हुए कहा- इनसे मिलिए, यह युवा एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा.

बता दें कि एक बार संसद में एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू पर विपक्षी नेता जमकर निशाना साध रहे थे. अटल जी काफी देर तक ये देखते रहे और फिर गुस्से से अपनी सीट से उठे और पूछा कि क्या सिर्फ विपक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री का विरोध करना जरूरी हो गया? नेहरू ने भी वाजपेयी की इस जिंदादिली का खुलकर स्वागत किया और उन्हें साल 1961 में नेशनल इंटिग्रेशन काउंसिल में नियुक्ति दी.

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अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों ने उन्हें कम उम्र में ही चर्चित कर दिया था. अटल बिहारी सरकार की नीतियों के विरोध में जोरदार तरीके से अपनी बात रखते थे. यूं तो नेहरू भी अच्छे वक्ता थे. लेकिन दोनों ही लोग राजनैतिक मतभेदों से इतर एक दूसरे का पूरा सम्मान करते थे.

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