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अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर लालू बोले- बहुत याद आओगे

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद एम्स में बुधवार को निधन हो गया. वह पिछले दो महीने से एम्स में भर्ती थे. उनके निधन की खबर आते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई.

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अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाल कृष्ण आडवाणी (फाइल फोटो)
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाल कृष्ण आडवाणी (फाइल फोटो)

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) अब इस दुनिया में नहीं रहे. नई दिल्ली के एम्स में लंबे इलाज के दौरान बुधवार को 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वाजपेयी के निधन की खबर के साथ ही पूरे देश में शोक की लहर फैल गई. उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई शीर्ष नेताओं ने गहरा दुख जताया. लालू ने कहा कि आप बहुत याद आओगे.

अटलजी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां क्लिक करें

वाजपेयी के निधन पर शीर्ष नेताओं ने अपनी श्रद्धांजलि दी. वाजपेयी के करीबी दोस्त रहे लाल कृष्ण आडवाणी ने गहरा दुख जताया. वहीं मुरली मनोहर जोशी ने उनके निधन पर देश की अपूरणीय क्षति बताया. प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने कहा कि उनकी निधन की बात सुनकर अच्छा नहीं लग रहा.

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आडवाणी ने कहा, ''आज मेरे पास अपने दुख को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. भारत के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी को हमने खो दिया है. मेरे लिए, अटलजी एक वरिष्ठ साथी से भी बढ़कर थे. वास्तव में वह 65 साल से भी ज्यादा समय तक मेरे सबसे करीबी मित्र रहे.'

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनके साथ अपने लंबे संबंधों की यादें संजोकर रखी हैं. आरएसएस के प्रचारक के तौर पर हमारे दिनों से, फिर भारतीय जन संघ की स्थापना, आपातकाल के दौरान संघर्ष, फिर जनता पार्टी का बनना और बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना तक.'

वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान उपप्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा कि अटल जी केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी सरकार को 5 साल चलाने के लिए याद किया जाएगा. उन्हें 6 साल के उनके डिप्टी के रूप में काम करने का मौका मिला है. अपने प्रेस रिलीज में आडवाणी ने कहा, 'बतौर मेरे वरिष्ठ, वह हमेशा उत्साहित करते रहे और हर संभव तरीके से मुझे निर्देशित करते रहे. मुझे अटल जी कमी खलेगी.'

'उनका जाना पिता खोने जैसा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर कहा कि उनका जाना पिता के खोने जैसा है. मां भारती के सच्चे सपूत थे अटल जी. उनका विराट व्यक्तित्व था. अटल जी के जाने से एक युग का अंत हो गया है.

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वाजपेयी के निधन पर प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि एक साधु पुरुष चला गया है. वह अच्छे लेखक और कवि थे. लोग उनका भाषण सुनने के लिए तरसते थे, वह एक सच्चे और अच्छे इंसान थे.' उन्होंने कहा, 'वाजपेयी के निधन पर मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.'

'राजनीति के आकाश का ध्रुवतारा नहीं रहा'

वाजपेयी के पार्थिव शरीर के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर पहुंचने के बाद भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने पीसी में कहा कि आवास पर सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े आठ बजे तक वाजपेयी के अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे. इसके बाद नौ बजे उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय ले जाया जाएगा, जहां से एक बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. इसके बाद दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर गुरुवार शाम उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

अमित शाह ने कहा, 'भारतीय राजनीति के आकाश का ध्रुवतारा नहीं रहा. वो बहुमुंखी प्रतिभा के धनी थे. देश ने एक अजातशत्रु नेता को खोया है. पत्रकारिता ने एक स्वभावगत पत्रकार को खोया है. साहित्य ने एक कवि राजनेता खोया है. करोड़ों युवाओं ने अपनी प्रेरणा को रोया है. वो संसद में देशभक्ति की आवाज थे. हमने अपना लोकप्रिय नेता खोया है. वो हम सबके मार्गदर्शक थे. उनके जाने से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है.'

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट करके कहा कि भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया है और वाजपेयी के मृत्यु से उन्होंने अपना मित्र और अभिभावक को दिया है. लालू ने कहा कि वाजपेयी उस राजनीतिक धारा के आखिरी स्तंभ थे जहां परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधारा के लोग सहज और शालीन संवाद कर सकते थे. उन्हें गर्व है कि अटल जी के नाम में बिहारी भी था. आप बहुत याद आओगे.

अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार कैबिनेट मंत्री सुषमा स्वराज ने भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक जताया और भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

PM मोदी बोले- शून्य में हूं

वाजपेयी के निधन की खबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'मैं निःशब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है.' अपनी एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि उनकी प्रेरणा, मार्गदर्शन हर भारतीय को, हर बीजेपी कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा.

वाजपेयी के निधन पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट कर शोक जताया और वाजपेयी को विनम्र श्रद्धांजलि दी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाजपेयी के निधन पर शोक जताया और ट्वीट कर अपनी श्रद्धांजलि दी.

बिहार के मुख्यमंत्री और वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहे नीतिश कुमार ने भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक जताया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर वाजपेयी के निधन को देश की बड़ी क्षति बताया.

समाजवाजी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

कांग्रेस ने भी उनके निधन पर शोक जताया.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट के जरिए वाजपेयी के निधन पर शोक जताया.

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी ट्वीट के जरिए वाजपेयी के निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक जताया.

वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अरुण जेटली ने भी उनके निधन पर दुख जताया और उन्हें देश के शीर्षतम नेताओं में शुमार किया.

मोदी सरकार में रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने वाजपेयी के निधन को एक युग का अंत बताया और व्यक्तिगत रूप में अपने लिए अपूरणीय क्षति करार दिया.

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने आज भी एम्स पहुंच उनका हाल जाना था. भारतीय जनता पार्टी ने देश में अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया.पार्टी मुख्यालय में पार्टी के झंडे को झुका दिया गया है.

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अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और 2009 से ही व्हीलचेयर पर थे. 2014 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था.

अटल बिहारी वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता थे. 25 दिसंबर, 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था.

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