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...जब वाजपेयी ने कहा कि अगर जिंदा हूं तो राजीव गांधी की वजह से!

आज के प्रतिस्पर्धी राजनीति में मानवीय मूल्यों की कमी और विरोधियों के लिए निष्ठुरता, अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में न थी. सार्वजनिक जीवन में एक दूसरे के विरोधी होने के बावजूद नेताओं में बंधुत्व का भाव था.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो: Getty Images)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो: Getty Images)

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसी राजनीतिक परंपरा से ताल्लुक रखते थे, जिसमें राजनीतिक विरोधियों के लिए सम्मान और मानवीय मर्यादा का विशेष स्थान स्थान रहा करता था. ऐसा ही एक दिल को छू जाने वाला वाकया अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में घटित हुआ जिसे उन्होने स्वयं बयां किया.

अटलजी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां क्लिक करें

बात साल 1991 की है जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हो चुकी थी. बीजेपी के सबसे बड़े कद के नेता अटल बिहारी वाजपेयी उस समय संसद में नेता विपक्ष थे. तब एक वरिष्ठ पत्रकार ने वाजपेयी से राजीव गांधी के बारे में उनकी राय जाननी चाही. तो वाजपेयी ने बड़े ही भावुक अंदाज में अपने जीवन का एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि यदि वो (अटल बिहारी वाजपेयी) आज जिंदा हैं तो राजीव गांधी की वजह से.

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दरअसल बात 1984-1989 के दौर की है जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे और अटल बिहारी वाजपेयी किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे. तब भारत में इस बीमारी के लिए उत्तम चिकित्सा व्यस्था उपलब्ध न थी. जिसकी वजह से वाजपेयी को इलाज के लिए अमेरिका जाना पड़ता, लेकिन आर्थिक वजहों से वाजपेयी अमेरिका जा पाने में सक्षम नहीं थे.

अटल बिहारी वाजपेयी ने भावुक अंदाज में बताया कि किसी तरह राजीव गांधी को यह बात मालूम पड़ी कि वे किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हे विदेश में इलाज की आवश्यकता है. वाजपेयी ने कहा कि एक दिन राजीव गांधी ने उन्हें अपने दफ्तर में बुलाया और कहा कि उन्हें भारत की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल के साथ संयुक्त राष्ट्र भेजा जा रहा है. राजीव गांधी ने वाजपेयी से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस मौके का लाभ लेते हुए वे न्यूयॉर्क में अपना इलाज भी करवा लेंगे. वाजपेयी ने कहा कि वे न्यूयॉर्क गए और इसी वजह से आज जिंदा हैं.

न्यूयॉर्क से लौटने के बाद यह वाकया न राजीव गांधी और न ही वाजपेयी ने किसी से साझा किया. दोनों शख्सियतों ने सार्वजनिक जीवन में एक दूसरे के विरोधी की भूमिका निभाई. हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ समय बाद एक पोस्टकार्ड के जरिए संदेश भेजकर राजीव गांधी को इस शिष्टता के लिए धन्यवाद प्रेषित किया. लेकिन राजीव के जीते जी अटल जी ने यह वाकया किसी और से साझा नहीं किया.  

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अटल बिहारी वाजपेयी और राजीव गांधी आज की राजनीति का हिस्सा नहीं हैं और न ही आज वो दौर है. अपने विरोधियों के लिए इस तरह का वंधुत्व आज के दौर की निष्ठुर राजनीति में दुर्लभ ही है.

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