सरकार द्वारा कंपनियों के डीजल के दाम तय करने की घोषणा के बाद अब इस मामले पर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने आरोप लगाया कि सरकार जनता के हितों को अनदेखा कर तेल कंपनियों के फायदे में लगी है. पार्टी ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की तादाद 6 से बढ़ाकर 9 करने के सरकार के फैसले को नौटंकी करार दिया.
बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक कांग्रेस के पास यह कला है कि कैसे कीमतें बढाई जाएं, हम इसका विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ये फैसला वापस ले, जिसे जितने सिलेंडर की जरूरत हो दिया जाए.
वहीं दूसरी ओर सीपीएम महासचिव प्रकाश करात के मुताबिक जनता पर ये एक और हमला है. जिस तरह से पेट्रोल को डी-कंट्रोल किया गया, उसके बाद उसका दाम हर रोज बढ़ रहा है. उसी तरह से अब डीजल पर होगा. वहीं तेल और सिलेंडर के दामों पर यूपीए सरकार से समर्थन वापिस लेने वाली तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे जनता विरोधी कदम बताया.
समाजवादी पार्टी ने कहा कि महंगाई की मार का खामियाजा 2014 के चुनाव में केंद्र सरकार को भुगतना पड़ेगा. महंगाई के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से दोषी है.
दरअसल डीजल और रसोई गैस की कीमतें आम आदमी के बजट की धड़कनें तय करती है. लिहाजा तमाम पार्टियों को इसका विरोध करना ही है लेकिन सवाल ये है कि क्या ये विरोध लोगों को राहत दिलवा पाएगा.