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AG ने कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए सवाल

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कॉलेजियम सिस्टम के जरिए चुने गए न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. रोहतगी ने इन जजों के बारे में कहा कि वे अदालत में आदतन देरी से आते थे, बेंच के सहयोगी जजों को धमकाते थ, गैर-जिम्मेदाराना तरीके से ट्वीट करते और कामकाज से बचते रहे.

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मुकुल रोहतगी (फाइल फोटो)
मुकुल रोहतगी (फाइल फोटो)

अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कॉलेजियम सिस्टम के जरिए चुने गए जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. रोहतगी ने इन जजों के बारे में कहा कि वे अदालत में आदतन देरी से आते थे, बेंच के सहयोगी जजों को धमकाते थ, गैर-जिम्मेदाराना तरीके से ट्वीट करते और कामकाज से बचते रहे.

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मुकुल रोहतगी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नेश्नल जूडिशनल अपॉइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) की वैधता पर बचाव कर रहे थे, जो कॉलेजियम सिस्टम की जगह लेगा. केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि पहले उस व्यवस्था में योग्यता के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से कई पात्रता नहीं रखने वाले व्यक्ति न्यायाधीश बन गए और इनमे से कुछ के नाम उसने शीर्ष अदालत को दिए हैं.

न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने मुकुल रोहतगी ने बुधवार को सात या आठ ऐसे न्यायाधीशों के नाम दिए, जिन्हें गुप्तचर ब्यूरो की प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद भी नियुक्त किया गया था. संविधान पीठ ने मंगलवार को अटार्नी जनरल से कहा था कि कोलेजियम सिसटम के तहत की गई गलत नियुक्तियों की सूची सौंपे. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं.

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रोहतगी ने दावा किया कि जब कोलेजियम ने ऐसे नामों पर जोर दिया, तो केंद्र सरकार इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य थी. अटार्नी जनरल ने कहा कि कोलेजियम सिस्टम ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में पात्रता के सिद्धांत का पालन नहीं किया और इस तरह कई पात्रता नहीं रखने वाले व्यक्तिों की भी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हो गई.

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