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अगस्ता डील: एक साल में 9 बार भारत आया था बिचौलिया मिशेल

इंडिया टुडे को मिशेल के प्रत्यर्पण के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों के कई अहम दस्तावेज हैं जिनमें जिक्र किया है कि अगस्ता वेस्टलैंड ने घूस के 70 मिलियन यूरो में से 30 मिलियन यूरो मिशेल और उनकी कंपनी को दिया था.

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अगस्ता वेस्टलैंड में बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल(फोटो- ANI)
अगस्ता वेस्टलैंड में बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल(फोटो- ANI)

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अगस्ता वेस्टलैंड में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद भले ही राजनीतिक पार्टियां बयानबाजी कर रही हों, लेकिन सीबीआई और ईडी ने जनवरी, 2015 के बाद से ही इस बिचौलिए को भारत लाने के लिए कवायद शुरू कर दी थी. इंडिया टुडे के हाथोंकुछ अहम दस्तावेज और सबूत लगे हैं, जिनके आधार पर दोनों एजेंसियां दो साल की कानूनी मेहनत के बाद मिशेल को भारत लाने में सफल हो पाईं.  

इंडिया टुडे के पास भारत द्वारा प्रर्त्यपण के लिए लिखे आग्रह का दस्तावेज भी है, जिसमें लिखा है, 'अगस्ता वेस्टलैंड ने घूस के तौर पर 70 मिलियन यूरो दिए, जिसमें से 30 मिलियन यूरो क्रिश्चियन मिशेल जेम्स और उनकी कंपनी ग्लोबल सर्विस को पोस्ट सर्विस एग्रीमेंटके नाम पर दिए गए. इस एग्रीमेंट पर 0103 की तारीख दर्ज है.'  

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2010 के दौरान अगस्ता वेस्टलैंड होल्ड‍िंग लिमिटेड और क्रिश्चियन मिशेल और उसकी कंपनी ग्लोबल सर्विस दुबई को अगस्ता वेस्टलैंड को AW 101VIP हेलिकॉप्टर सप्लाई को लेकर अनुबंध को पूरा करने में मदद करने कहा गया.

इस अनुबंध के मुताबिक, 6.05 मिलियन यूरो मई 2010 से दिसंबर 2011 के बीच दिए गए. वहीं, 26.05.2010 में क्रिश्चियन मिशेल और अगस्ता वेस्टलैंड से जुड़ी ग्लोबल ट्रेड कॉमर्स लिमिटेड यूके के बीच एक और अनुबंध हुआ.  

इसके मुताबिक, पवन हंस लिमिटेड को 14 वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर, ज्यूफिक (Gufic General trading LLC) जनरल लिमिटेड ट्रेडिंग के साथ एग्रीमेंट के जरिये ग्लोबल ट्रेड कॉमर्स लिमिटेड से लेने थे. 

इस बात का बाद में खुलासा हुआ कि 18 मिलियन यूरो के अनुबंध के तहत ग्लोबल ट्रेड कॉमर्स लिमिटेड यूके द्वारा  30 फीसदी या यानी 5.6 यूरो मिलियन बतौर एडवांस लिए गए. हालांकि, ग्लोबल सर्विस दुबई को अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा सिर्फ 4.7 मिलियन दिए गए.

इन तथ्यों से ये साफ खुलासा होता है कि क्रिश्चियन मिशेल और उसकी कंपनी ग्लोबल सर्विस दुबई ने दो अनुबंधों के नाम पर अगस्ता वेस्टलैंड से घूस ली.

2015 से  म‍िशेल पर थी सीबीआई की नजर

इस गिरफ्तारी के बाद भारतीय एजेंसियों ने मिशेल का रेजिडेंट पहचान नंबर भी पता लगा लिया. इंडिया टुडे को मिले दस्तावेज के मुताबिक, उसका रेजिडेंट पहचान नंबर 784-1961-5905463-2 था, जो 23 मार्च 2019 में खत्म हो रहा था.

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भारतीय एजेंसियों ने प्रत्यर्पण से पहले दिए कई सबूत

भारतीय एजेंसियों के अनुरोध पर दुबई पुलिस ने मिशेल से कई सवाल पूछे. इंडिया टुडे के पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक, इस पूछताछ में मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड डील में खुद को बेगुनाह बताते हुए हस्के, जुली त्यागी और ओर्सी पर पूरा इल्जाम लगाया. वहीं, सीबीआई इस पर अड़ा हुआ था कि मिशेल ही पूरी डील का मास्टमाइंड था और दोनों बिचौलिए उसके आदेश पर काम करते थे.

इस दौरान भारत ने अगस्ता मीटिंग को लेकर मिशेल की भारत यात्रा के सबूत भी दुबई पुलिस को दिए. भारत ने प्रत्यर्पण के अनुरोध के दौरान अबुधाबी दूतावास से यह साफ किया कि वह आपराधिक अपराधी है, न की राजनीतिक अपराधी.

इस दौरान एजेंसियों ने 2005 में मिशेल की 9 भारत यात्रा का भी सबूत दिया. यह यात्राएं उसी साल हुई थी, जब मंत्रालय ने हेलिकॉप्टर्स का मानक कम किया था.

मिशेल की दलील

दस्तावेज के मुताबिक, मिशेल ने दुबई में अपने बचाव के दौरान कहा था कि इस मामले में इटली की अदालत ने फैसला सुना चुकी है. अदालत ने यह केस खारिज करते हुए माना था कि न तो मैं उस समय कंपनी में काम करता था और न ही हेलिकॉप्टर खरीद करने का फैसला लेने वाले किसी विभागमें कार्यरत था. इतालवी अधिकारियों की ओर से दी गई इसी जानकारी के आधार पर स्विस अधिकारियों ने यह शिकायत खारिज कर दी थी.

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इसके बाद दुबई में अभियोजन पक्ष ने मिशेल से पूछा कि, 'मंत्रालय के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने में कंपनी की मदद करने वाले लोगों को घूस दी गई थी. यह घूस मैसर्स ग्लोबल सर्विसेज, मैसर्स इंटरनेशनल ट्रेडिंग में 70 मिलियन यूरो के रूप में दिया गया था.

'इन आरोपों पर आपको क्या कहना है?' इस पर मिशेल ने कहा, 'मैं पिछली सरकार के साथ उस सौदे में था, जिसकी अगुवाई मनमोहन सिंह कर रहे थे, लेकिन 2014 में सरकार बदल दी गई थी और अब नरेंद्र मोदी की सरकार है. मुझे इस मामले में रखना सिर्फ पिछली सरकार के खिलाफ गवाहीदेने के लिए दबाव बनाना है."

मिशेल का दावा था कि सौदा बिना किसी घूस या रिश्वत के हुआ था और मैं भारत में कंपनियों की किसी ब्रांच से में काम नहीं कर रहा था, बल्कि मैं यूके शाखा में विशेष रूप से उस अवधि में काम कर रहा था.

प्रत्यर्पण के खिलाफ मिशेल ने कहा कि 'मैंने यह भी कहा था कि यह मामला पहले मेरे खिलाफ इटली के अधिकारियों सामने भारतीय सरकार द्वारा दायर किया गया था और स्विस प्राधिकरणों के सामने भी रखा गया था.'

उसने बताया था कि मैं केवल इतालवी अमेरिकी नागरिक हस्के, भारतीय नागरिक जुली त्यागी और इतालवी नागरिक ओर्सी को जानता था.

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