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मंदिर-मस्जिद की लड़ाई ऐसे बन गई सियासी जंग, BJP को मिला लाभ

इसी मुद्दे की बुनियाद पर 1989 के लोकसभा के चुनाव में 9 साल पुरानी बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी और आज केंद्र व देश के 19 राज्यों की सत्ता पर काबिज होकर दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी बन गई है.

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राममंदिर आंदोलन से बीजेपी के इन दिग्गजों को मिली पहचान (फाइल फोटो)
राममंदिर आंदोलन से बीजेपी के इन दिग्गजों को मिली पहचान (फाइल फोटो)

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अयोध्या के राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है. पिछले चार दशक से इस मुद्दे पर दलों ने जमकर सियासी रोटियां सेंकी हैं. लालकृष्ण आडवाणी राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे थे. इसी मुद्दे की बुनियाद पर 1989 के लोकसभा के चुनाव में 9 साल पुरानी बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी और आज केंद्र व देश के 19 राज्यों की सत्ता पर काबिज होकर दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी बन गई है.

हिंदू-मुस्लिम के बीच पहली बार दरार

बता दें कि अयोध्या में 1528 में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया. लेकिन हिंदू-मुस्लिम के बीच के रिश्तों में पहली दरार 1850 से पड़नी शुरू हुई. 1953 में अयोध्या के आसपास दंगे हुए. इसके बाद 1859 में अंग्रेज प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी. मुसलमानों को विवादित बाबरी मस्जिद के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई.

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पहली बार मंदिर बनाने की मांगी इजाजत

फरवरी 1885 में महंत रघुबर दास ने फैजाबाद के उप जज के सामने याचिका दायर करके मंदिर बनाने की इजाजत मांगी. जज पंडित हरिकृष्ण ने यह कहकर इसे खारिज कर दिया कि यह चबूतरा पहले से मौजूद मस्जिद के इतना करीब है कि इस पर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. 1946 में हिंदू महासभा ने इस पर आंदोलन शुरू किया.

राम मंदिर को बीजेपी ने बनाया मुद्दा

दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं. हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया था कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने 1964 में राम मंदिर मुद्दे को अपने हाथ में ले लिया. 1980 में बीजेपी का गठन हुआ और पार्टी के बनने के बाद ही उसने खुलकर राम मंदिर आंदोलन का मोर्चा संभाला. बीजेपी के गठन के 4 साल चुनाव हुए तो बीजेपी के दो सांसद जीते. 1986 में विवादास्पद स्थल पर हिंदुओं को पूजापाठ की अनुमति मिल गई. इसके विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.

बीजेपी 2 सीट से बढ़कर 85 पहुंची

1989 में बीजेपी ने पलमपुर अधिवेशन में राम मंदिर आंदोलन को धार देने का फैसला किया. उधर राजीव गांधी ने विवादित स्थल के पास राम मंदिर का शिलान्यास करने की इजाजत दे दी. इसका फायदा भी बीजेपी को मिला. बीजेपी 1989 के लोकसभा चुनाव में 2 सीट से बढ़कर 85 पर पहुंच गई. वीपी सिंह की सरकार को समर्थन देकर उसने केंद्र में सरकार बनवाई.

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अाडवाणी की रथ यात्रा को लालू ने रोका

राम मंदिर के सियासी फायदे को देखते हुए बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली. रथ यात्रा बिहार पहुंची तो राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

कारसेवकों पर मुलायम ने चलवाई गोली

अक्टूबर 1990 में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अयोध्या में कारसेवकों ने पूजा का कार्यक्रम रखा. बीजेपी ने इस पूजा कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया. यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में बिगड़ते हालात का हवाला देकर कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया. इसके बाद काफी कारसेवकों की मौत हुई. गोली कांड ने बीजेपी को मजबूत होने और जड़ें जमाने का मौका दे दिया.

1991 में यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने 221 सीटें जीतकर सूबे की सत्ता पर कब्जा कर लिया. सत्ता के सिंहासन पर कल्याण सिंह की सीएम के रूप में ताजपोशी हुई. एक साल के बाद 1992 में फिर कारसेवकों ने  अयोध्या में जुटने का फैसला किया.

कल्याण नहीं कर सके बाबरी मस्जिद की हिफाजत

20 नवंबर से कारसेवक जुटने लगे, तो केंद्र की नरसिंहा राव की सरकार के हाथ पांव फूलने लगे. केंद्र सरकार यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में सोचने लगी. ऐसे में यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके गांरटी दी कि कारसेवकों से बाबरी मस्जिद की हर हाल में सुरक्षा करेंगे. लेकिन 6 दिसंबर 1992 को बीजेपी के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया. इसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए. पर बीजेपी का सियासी सफर नहीं रुका बल्कि और आगे बढ़ता गया.

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केंद्र और 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार

देश में एक के बाद एक राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और केंद्र की सत्ता में 1996, 1998 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी. 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में काबिज हुई और आज देश के 19 राज्यों में उसकी सरकार है.

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