अयोध्या में राम मंदिर बाबरी मस्जिद मामले में स्वामित्व विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया. भाजपा ने जहां फैसले को ‘सकारात्मक’ घटना करार दिया, वहीं कांग्रेस ने कहा कि इसे किसी की जीत या हार के रूप में नहीं देखना चाहिए.
भाजपा मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सकारात्मक घटना करार दिया. हिन्दुत्व के कट्टर पैरोकार के रूप में जाने जाने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस निर्णय से अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है. लेकिन इसी के साथ मोदी ने कहा कि इस मामले में अतिउत्साहित होने की जरूरत नहीं है.
अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि इससे राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है लेकिन इसे किसी की विजय या किसी की पराजय के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. कांग्रेस ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सभी को इस फैसले का सम्मान करना चाहिए और इसे किसी की हार या किसी की जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. {mospagebreak}
पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने कहा ‘अदालत ने फैसला दिया है. फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए और न्यायपालिका पर आस्था रखते हुए निर्णय को स्वीकार करना चाहिए. अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उच्चतम न्यायालय का मार्ग खुला हुआ है.’ अयोध्या मामले में अदालत का फैसला आने के बाद लोगों से संयम बरतने की अपील करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा ‘यह मंदिर राष्ट्रीय मूल्यों का प्रतीक है.
भगवान राम भारत की समृद्ध, समावेशी, सहिष्णु और एक दूसरे का ख्याल रखने वाली संस्कृति के प्रतीक हैं और मुसलमानों समेत समाज के सभी लोगों को मिलजुल कर इस राष्ट्रीय प्रतीक को स्थापित करना चाहिये.’ उन्होंने कहा ‘राम मंदिर आंदोलन का स्वरूप कभी भी प्रतिक्रियात्मक नहीं रहा और यह किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भी नहीं है.’
भागवत ने कहा, ‘पिछली बातों और कटुता को भूलकर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक राममंदिर को स्नेह भाव से बनाने में जुट जाना चाहिये. हम मुस्लिमों सहित सबको मंदिर निर्माण में सहयोग देने का आह्वान करते हैं.’ उन्होंने कहा ‘अदालत के फैसले से आनंदित होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें अपनी भावना नियंत्रित, संयमित और शांतिपूर्ण ढंग से प्रकट करनी चाहिए लेकिन यह कानून और संविधान की मर्यादा में हो. ऐसी कोई बात नहीं करनी चाहिए, जिससे दूसरे को ठेस पहुंचे.’ {mospagebreak}
फैसले पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि फैसला उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा और वह इसकी समीक्षा करने के बाद उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा. बोर्ड के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास कहा, ‘यह फैसला हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं है. हम इसकी समीक्षा करेंगे और उच्चतम न्यायालय में जाएंगे.’
जमात ए इस्लामी के सचिव एम फारूख ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन उच्च न्यायालय का यह फैसला अंतिम नहीं है.’
अदालत के फैसले के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि अयोध्या मालिकाना हक मुकदमे में फैसले को पूरी तरह पढ़े जाने की आवश्यकता है और फैसले की प्रकृति को लेकर सवाल हो सकते हैं. पार्टी ने कहा कि हमारी संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय में जाने समेत न्यायिक प्रक्रिया मुद्दों के समाधान का एकमात्र तरीका होना चाहिए.
पार्टी पोलित ब्यूरो की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया, ‘फैसले को पूरी तरह पढ़े जाने की आवश्यकता है. फैसले की प्रकृति को लेकर सवाल हो सकते हैं.’ पार्टी ने कहा, ‘हमारी संवैधानिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय में जाने समेत न्यायिक प्रक्रिया मुद्दों के समाधान का एकमात्र तरीका होना चाहिए.’ पार्टी ने देश की जनता से शांति और सौहार्द कायम रखने और किसी भी उकसावे में नहीं आने की अपील की.